विपक्ष और न्यायालय की ओर से तीखी टिप्पणियों के बावजूद सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह विदेशों में कालाधन छुपाने वाले लोगों के बारे में प्राप्त सूचनाओं को सार्वजनिक नहीं कर सकती, क्योंकि ऐसा करने से दूसरे देशों की सरकारें भविष्य में भारत के साथ कालेधन की जांच में सहयोग बंद कर सकती हैं.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विदेशों से मिले नामों का खुलासा किया जा सकता है, पर यह तभी जबकि आयकर विभाग इन व्यक्तियों के खिलाफ जांच पूरी कर उनके खिलाफ मामला दायर कर चुका हो.
देश से विदेशों में छुपाए कालेधन का पता लगाने और इसे रोकने की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देने के लिए आयोजित इस विशेष संवाददाता सम्मेलन में मुखर्जी ने कहा कि सरकार को इस मामले में कुछ छुपाना नहीं है. लीकटेंस्टाइन के एक बैंक से सबंधित सूचनाओं को उच्चतम न्यायालय में मोहरबंद लिफाफे में जमा कराया जा चुका है. पर सरकार इसको सार्वजनिक न करने के मामले में दूसरी सरकारों के साथ कर संधियों से बंधी है. {mospagebreak}
मुखर्जी ने कहा, ‘सरकार को कोई भी बात छुपानी नहीं है. यह कहना गलत है कि सरकार दोहरे कराधान से बचाव की संधियों की ओट ले रही है.’ उन्होंने कहा कि भारत को विदेशी बैंकों में जमा धन के बारे में कोई सूचना तब तक नहीं मिल सकती, जब तक कि इसके लिए कोई कानूनी व्यवस्था न हो.
लीकटेंस्टाइन के एलजीटी बैंक का नाम लिए बगैर मुखर्जी ने कहा कि वहां के खातों के बारे में मिली सूचना को ‘यदि हम जाहिर कर देंगे, तो दूसरे भविष्य में हमसे सहयोग नहीं करेंगे.’ मखर्जी ने कहा, ‘फिर भी एक रास्ता है. आयकर विभाग इन मामलों में जांच के बाद जब मुकदमा दायर करेगा, तो ये नाम सामने आ सकते हैं.’
भारतीयों द्वारा विदेशी बैंकों में छुपाए गए कालेधन के बारे में रिजर्व बैंक की टिप्पणियों का उल्लेख किए जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का काम, ‘शब्दाडंबर में पड़ना नहीं है.’ उन्होंने कहा कि सरकार का काम है कि इस मामले में तथ्यों को जुटाया जाए, काली कमाई के और उसको बाहर भेजने के जरिये का पता लगाकर उसको रोकने के उपाय किए जाएं.
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के बारे में दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि यह मात्र कर चोरी का सामान्य मामला नहीं है बल्कि देश के धन की लूट है. पीठ ने सरकार के वकील से यह भी जानना चाहा था कि आखिर इस मामले में विदेशों से मिली सूचनाओं को जाहिर करने में दिक्कत क्या है. {mospagebreak}
मुखर्जी ने एक ताजा अंतरराष्ट्रीय अध्ययन का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया में 77.6 प्रतिशत काली कमाई ट्रांसफर प्राइसिंग (सम्बद्ध पक्षों के बीच सौदों में मूल्य अंतरण) के जरिये पैदा हो रही है. इसमें एक कंपनी विदेशों में अपनी सहायक कंपनी के साथ सौदों में 100 रुपये की एक वस्तु की कीमत 1,000 रुपये या 10 रुपये दिखाकर करों की चोरी और धन की हेराफेरी करती है.
मुखर्जी ने कहा कि भारत में सम्बद्ध फर्मों के बीच इस तरह के मूल्य अंतरण में हेराफेरी रोकने का प्रयास सन 2000 के आसपास रूप लेने लगा था, पर सरकार अब इसको और कड़ा कर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बना रही है. उन्होंने कहा कि ट्रांसफर प्राइसिंग पर निगरानी कड़ी कर डायरेक्टरेट आफ ट्रांसफर प्राइसिंग ने सम्बद्ध सौदों के मूल्यों में 33,784 करोड़ रुपये की हेराफेरी पकड़ी.
उन्होंने कहा, ‘इससे इतनी ही बड़ी राशि को बाहर जाने से रोका जा सका.’ मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने यह संवाददाता सम्मेलन प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह के निर्देश पर बुलाया, तकि काली कमाई को रोकने और इसमें लगे लोगों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में तथ्यों का सबके सामने रखा जा सके.
संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी और वित्त मंत्रालय तथा आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी थे. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार कालेधन और मनीलांड्रिंग की समस्या से निपटने के लिए पंचमुखी रणनीति अपना रही है. इसके तहत भारत कालेधन के खिलाफ विश्वस्तरीय अभियान में शामिल होगा, समुचित नियम-कानून बनाए जाएंगे, अवैध धन के खिलाफ कार्रवाई के लिए संस्थाएं बनायी जाएंगी, नियमों के अनुपालन की प्रणालियां स्थापित की जाएंगी और अधिकारियों को प्रशिक्षण देकर कारगर कार्रवाई में समर्थ बनाया जाएगा. {mospagebreak}
मुखर्जी ने कहा कि भारत में कालेधन के बारे में कोई विश्वसनीय अनुमान नहीं है. भारतीय जनता पार्टी के कार्यबल की अंतरिम रपट में 500 अरब डालर से 1,400 अरब डालर के काले धन का अनुमान लगाया गया है. ग्लोबल फाइनेंशियल इंटिग्रिटी की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय देश की 462 अरब डालर की कमाई विदेशों में जमा है.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है. एक समिति बनायी गयी है जो भारतीय नागरिकों द्वारा पैदा की गयी काली कमाई का आकलन कर रही है. इसमें विभिन्न विधाओं के लोगों को रखा गया है.’ वित्त मंत्री ने कहा कि कर चोरी रोकने में सहयोग के लिए विभिन्न देशों और स्वायत्त क्षेत्रों के साथ संधियों में संशोधन करने और नए समझौते करने के प्रयास में प्रगति हुई है.
भारत 65 देशों से सूचना के आदान प्रदान की संधियों में विस्तार के लिए बातचीत कर रहा है ताकि दोहरे कराधान से बचाव की संधियों (डीटीएए) की सीमा से बाहर के व्यवक्तियों के बारे में भी सूचनाएं हासिल की जा सकें. उन्होंने कहा कि 13 देशों के साथ नए डीटीएए हो चुके हैं जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं.
सरकार विदेशों में कालेधन का पता लगाने के लिए विभिन्न देशों में आठ और आयकर इकाइयां स्थापित करने जा रही है. सिंगापुर और मारिशस में दो इकाइयां पहले से ही स्थापित की गयी हैं. कर चोरी रोकने के लिए सूचना आदान-प्रदान प्रकोष्ठ (ईओआई) बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आयकर विभाग ने 18 माह में 15,000 करोड़ रुपये के कालेधन का पता लगाया है. इसी अवधि में अंतरराष्ट्रीय कराधान निदेशालय ने 34,601 करोड़ रुपये के करों की वसूली की है.