भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में यूपीए सरकार को घेरने में लगी टीम अन्ना क्या खुद अपने चक्रव्यूह में घिरती जा रही है.
टीम अन्ना के प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर पीएम मनमोहन सिंह ईमानदार हैं तो उनके मंत्री बेईमान कैसे हो सकते हैं. आखिर उनकी ईमानदारी का क्या मतलब रह जाता है जब उनकी आंख के सामने घोटालों का पहाड़ तैयार है. प्रशांत भूषण ने मनमोहन सिंह को शिखंडी तक कह दिया है. पर सवाल टीम अन्ना पर भी है कि क्या वो अन्ना की आड़ में सरकार के शिकार में लगी है.
हाल में हुई कई घटनाएं इस ओर इशारा करती हैं. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक बेदाग शख्सियत हैं. इन पर व्यक्तिगत भ्रष्टाचार का आरोप इनके दुश्मन भी लगाने में संकोच करते हैं. पर यूपीए सरकार में हुए घोटालों के बाद से उनकी इस सफेद छवि पर कई तरह के सवाल उठे हैं. यूपीए सरकार के मंत्रिमंडल पर भ्रष्टाचार के निशान खोज रही टीम अन्ना ने पीएम मनमोहन सिंह को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है.
प्रशांत भूषण ने पीएम को शिखंडी का नाम देने के पीछे अपनी तरफ से वकीली तर्क भी खड़ा किया है. पर वकील प्रशांत भूषण यहां शायद ये भूल गए हैं कि भारतीय समाज में शिखंडी नाम बड़ा ही विस्फोटक है. ये नाम अर्थ से नकारात्मक है. उपमा से धोखे का प्रतीक है. और अभिप्राय से तो इतने विस्तार वाला है कि कई बार गाली तक के दायरे में पहचाना जाता है. ऐसे में विरोध के बावजूद शिष्टाचार की रवायत प्रशांत भूषण को नहीं भूलनी चाहिए. वैसे भी प्रशांत भूषण बेहद शांत और सभ्य माने जाते हैं पर उन्होंने प्रधानमंत्री को जिस उपमा से नवाजा है वो हर तरह से आपत्ति के दायरे में आती है.
निंदा के अलावा कांग्रेस ने पलटवार भी किया है. पार्टी का मानना है कि टीम अन्ना के विवाद इतने बड़े हो गए हैं कि वो उनसे लोगों का ध्यान बांटने के लिए आरोपों की स्टंटबाजी कर रहे हैं. पर टीम अन्ना बराबर पलटवार कर रही है.