इकलौती संतान के मोटे होने की सम्भावना भाई या बहन वाले बच्चों की तुलना में 50 फीसदी से अधिक है. यह निष्कर्ष यूरोप के आठ देशों में 12,700 बच्चों पर किए गए एक सर्वेक्षण में सामने आया.
यह अध्ययन यूरोपीय शोध परियोजना 'आईडेंटिफिकेशन एंड प्रीवेंशन ऑफ डायटरी एंड लाइफस्टाइल-इंड्यूश्ड हेल्थ इफेक्ट्स इन चिल्ड्रन एंड इनफैंट्स' (आईडीईएफआईसीएस) के तहत किया गया. अध्ययन में भोजन, जीवनशैली और मोटापे तथा दो से नौ साल के बच्चों पर उसके प्रभाव पर मुख्य ध्यान दिया गया.
शोध पत्रिका न्यूट्रीशन एंड डायबेट्स की रपट के मुताबिक बच्चों के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को एक प्रश्नावली से जोड़ कर देखा गया, जिसमें बच्चों की खानपान की आदतों, टेलीविजन देखने की आदतों, घर से बाहर निकलकर खेलने जैसी आदतों और इन जैसी गतिविधियों के बारे में सवाल पूछा गया था.
स्वीडन के गुटेनबर्ग विश्वविद्यालय के शलग्रेंस्का अकादमी की एक शोधार्थी और इस अध्ययन की एक सदस्य मोनिका हंसबर्गर ने कहा कि अध्ययन में पता चला कि इकलौता बच्चा अन्य बच्चों की तुलना में घर से बाहर निकलकर कम खेलता है. वह घर में रहता है और उसकी शिक्षा का स्तर अपेक्षाकृत कम रहता है. आम तौर पर उसके शयन कक्ष में टेलीविजन होता है.
गुटनेबर्ग के बयान के मुताबिक हंसबर्गर ने कहा कि किसी भी कारक से जुदा इकलौता होना ही बच्चे के मोटापे के लिए सबसे खतरनाक कारण है.
एक अनुमान के मुताबिक यूरोप में 2.2 करोड़ से अधिक बच्चे अत्यधिक मोटापे के शिकार हैं. अध्ययन के मुताबिक इटली, स्पेन और साइप्रस जैसे दक्षिण यूरोपीय देशों में उत्तरी यूरोपीय देशों की तुलना में बच्चों में मोटापे की समस्या लगभग तीन गुना अधिक है.