मुंबई में मास्टर ब्लास्टर ने हुंकार भरी और कहा, मैं अभी थका नही हूं.’
भारत के अज़ीम ओ शान क्रिकेटर सचिन ने साफ़ कर दिया है कि फ़िलहाल उनका संन्यास लेने का कोई इरादा नहीं है. प्रमुख संपादकों से बात करने के बाद सचिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. शतकों के बादशाह ने कहा कि वे अपना रिकॉर्ड बनाने के लिए नहीं, बल्कि टीम को जिताने के लिए खेलते हैं. उन्होंने इच्छा जताई कि कोई भारतीय खिलाड़ी ही उनका रिकॉर्ड तोड़े तो उन्हें अच्छा लगेगा.
सचिन बेबाक होकर बोले. रोटेशन पॉलिसी को लेकर सचिन ने अहम बयान दिया है. सचिन ने कहा, ‘ड्रेसिंग रुम की बात बाहर नहीं आनी चाहिए. रोटेशन पॉलिसी की बात बाहर कैसे आई यह पता नहीं.’ सचिन तेंदुलकर मुंबई में मीडिया से रू-ब-रू हुए और बेबाक होकर 100वें शतक से जुड़े सवालों का जवाब दिया. क्रिकेट से रिटार्यमेंट लेने के निर्णय पर सचिन ने कहा कि संन्यास कब लेना है इसका निर्णय वो ही करेंगे. उन्होंने कहा कि जबतक वो अच्छी क्रिकेट खेलते रहूंगें तबतक क्रिकेट से संन्यास के बारे में नहीं सोचेंगे. सचिन ने कहा, ‘टॉप पर रहने पर रिटार्यमेंट लेना गलत है. टॉप पर रहने पर देश के लिए अधिक से अधिक योगदान करना चाहिए.’ उन्होंने दो टूक कहा कि रिटार्यमेंट की सलाह देने वालों ने टीम में कभी नहीं खेला है.
सचिन ने कहा, ‘टीम को जीताना मेरा लक्ष्य होता है.’ सचिन ने साथ ही यह भी कहा कि अब उन्हें कुछ भी साबित नहीं करना है.
सचिन से जब पूछा गया कि सौंवे शतक का दबाव था तो उन्होंने कहा, ‘जब आपको लगातार सौंवे शतक के बारे में बार बार बताया जाता है और लोग मुझे सौंवे शतक के लिए अपनी शुभकामनाएं देते थे तो ना चाहते हुए भी ये मेरे दिमाग में था ही. खैर, अब आप और कोई भी मुझे 100वें शतक के लिए नहीं कहेगा.’
सचिन से यह पूछने पर कि टेस्ट और वनडे में से कौन उन्हें सबसे ज्यादा प्यारा है तो सचिन ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट खेलना ज्यादा मुश्किल है और इसलिए उन्हें टेस्ट क्रिकेट ज्यादा पसंद है.
सचिन से पूछा गया कि उनके हीरो कौन हैं तो उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता मेरे हीरो हैं.’
सचिन ने कहा, ‘यहां तक पहुंचने में मुझे 23 साल लगे. मैं अब खेल का मजा ले रहा हूं. मेरा वर्ल्ड कप जीतने का सपना पूरा हुआ.’
सचिन ने युवाओं को सलाह देते हुए कहा, ‘सभी के जीवन में कठिन दौर आते हैं और ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं होगा जिसने जीवन में कठिनाई नहीं देखी हो. एक खिलाड़ी और एक व्यक्ति के तौर पर भी सबसे अहम है आशा को नहीं मरने देना.’
जब सचिन से यह पूछा गया कि 1994 में पहले एकदिवसीय शतक और अब महाशतक में क्या अंतर था तो उन्होंने कहा कि उस वक्त इतने लोग मुझसे सवाल पूछने के लिए इक्टठा नहीं थे जितने आज हैं. उन्होंने कहा, ‘1994 में मुझसे उम्मीदें उतनी नहीं थी जितनी अब हैं. अब अगर मैंने 70-80 रन बनाए तो ये काफी नहीं होता है.’
सचिन ने अपने रिकार्ड के एवरेस्ट के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा, ‘मैं चाहता हूं कोई भारतीय मेरा रिकॉर्ड तोड़े.’
सचिन से जब यह पूछा गया कि उनके जीवन का सबसे हसीन पल कौन सा था उन्होंने बिना वक्त लिए कहा कि डान ब्रैडमैन की सर्वकालिक टेस्ट एकादश में जगह बनाने को वो सबसे बड़ी प्रशंसा मानते हैं.