पितृत्व विवाद में फंसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी को मंगलवार को रजिस्ट्रार की उपस्थिति में अपना ब्लड सैंपल देना होगा. कोर्ट के आदेश के बाद तिवारी का ब्लड सैंपल लिया जाएगा.
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को तिवारी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने इस विवाद में अदालती कार्यवाही की गोपनीयता बरकरार रखने की मांग की थी. रोहित शेखर ने दावा किया है कि वह तिवारी की जैविक संतान है.
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की पीठ के समक्ष तिवारी के वकील ने कहा कि रोहित शेखर अदालती कार्यवाही के बारे में गोपनीयता को बरकरार नहीं रख रहे हैं और हर सुनवाई के बाद मीडिया को जानकारी दे रहे हैं.
पीठ ने कहा कि वह उनकी दलीलों से संतुष्ट नहीं है और वह किसी को भी मीडिया से बातचीत करने से नहीं रोक सकती. पीठ ने कहा, ‘मीडिया से बातचीत करने पर कोई रोक नहीं है. गोपनीयता (डीएनए जांच संबंधी) रिपोर्ट के संबंध में रखी जानी है. अदालती कार्यवाही के संबंध में नहीं है.’ इससे पहले शीर्ष अदालत ने गत 24 मई को पितृत्व वाद में 88 वर्षीय नेता को रक्त का नमूना देने का निर्देश दिया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि था कि व्यक्ति के ‘कद के कारण’ अदालती आदेश का उल्लंघन नहीं किया जा सकता. शीर्ष अदालत ने तिवारी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें कहा गया था कि वह अपने रक्त का नमूना देने के लिए काफी वृद्ध हैं. पीठ ने कहा, ‘इसका मतलब यह नहीं है कि उनके शरीर में रक्त नहीं दौड़ रहा है.’
तिवारी को रक्त का नमूना देने के लिए 29 मई को देहरादून स्थित अपने आवास पर उपलब्ध रहने का निर्देश दिया गया है.
32 वर्षीय रोहित शेखर ने साल 2008 में पितृत्व मुकदमा दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर किया था. इसमें अदालत से कांग्रेस नेता को उनका जैविक पिता घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.