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थम नहीं रहा लोकपाल को लेकर उठा बवंडर

लोकपाल विधेयक राज्‍यसभा में पारित न होने को लेकर उठा वबंडर थमने का नाम नहीं ले रहा है. अंतिम समय में अचानक सदन की कार्यवाही स्‍थगित किए जाने को लेकर भी सियासी हलकों में नाराजगी देखी जा रही है. इस मसले पर आरोप-प्रत्‍यारोप का सिलसिला अब तक जारी है.

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संसद
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लोकपाल विधेयक राज्‍यसभा में पारित न होने को लेकर उठा वबंडर थमने का नाम नहीं ले रहा है. अंतिम समय में अचानक सदन की कार्यवाही स्‍थगित किए जाने को लेकर भी सियासी हलकों में नाराजगी देखी जा रही है. इस मसले पर आरोप-प्रत्‍यारोप का सिलसिला अब तक जारी है.

भाजपा ने संकेत दिया है कि वह लोकपाल विधेयक पर चर्चा के दौरान राज्‍यसभा में अंतिम समय में सभापति हामिद अंसारी के व्यवहार से नाराज है, लेकिन उसने पद की गरिमा के चलते कुछ कहने से परहेज किया.

राज्यसभा के पदेन सभापति उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने राज्यसभा को यह कहकर स्थगित कर दिया था कि पूर्ण गतिरोध है और इस शोर-शराबे में सदन नहीं चल सकता.

भाजपा अंसारी के फैसले से प्रसन्न नहीं है और उसका मानना है कि मामले से अलग तरह से निपटा जा सकता था. विपक्ष चाहता था कि सदन विधेयक पारित होने तक चले या राष्ट्रपति से इसे विस्तारित कराया जाए.

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा ‘व्यवस्था पर मेरा अपना विचार है, लेकिन मैं इसे अपने तक सीमित रखूंगा.’

दूसरी ओर भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने शिमला में लोकपाल प्रकरण को लेकर संप्रग पर निशाना साधते हुए उस पर आरोप लगाया कि वह विधेयक पारित करने को लेकर गंभीर नहीं था. गडकरी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा कि उन्हें नैतिक आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.

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उन्होंने हिमाचल प्रदेश में भाजपा के सत्ता में चार वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कुल्लू में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘यदि कांग्रेस लोकपाल विधेयक को पारित करने को लेकर गंभीर नहीं थी, तो उसने मध्यरात्रि का नाटक क्यों किया? उसे सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक आधार नहीं है.’

गडकरी ने कहा कि लोकपाल विधेयक को पारित करने को लेकर संप्रग में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी थी और यह राज्यसभा में स्पष्ट हुआ क्योंकि विधेयक पर मतदान नहीं कराया गया और कांग्रेस ने अपना कर्तव्य नहीं निभाया.

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