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यूरोप को तेल नहीं देने पर विचार कर रहा ईरान

यूरोपी संघ द्वारा ईरान से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद कूटनीति गतिविधियां तेज हो गई हैं. एक तरफ तेहरान यूरोप को तेल नहीं देने पर विचार कर रहा है तो दूसरी तरफ चीन ने प्रतिबंध को अनुचित करार दिया है.

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यूरोपी संघ द्वारा ईरान से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद कूटनीति गतिविधियां तेज हो गई हैं. एक तरफ तेहरान यूरोप को तेल नहीं देने पर विचार कर रहा है तो दूसरी तरफ चीन ने प्रतिबंध को अनुचित करार दिया है.

इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने ईरान से होरमुज जलडमरूमध्य को बंद नहीं करने की अपील की है. यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने सोमवार को ईरान से तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया. फैसला एक जुलाई से लागू होगा. इसके साथ ही कई और और आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए. इसके जवाब में ईरानी संसद यूरोप को तेल का निर्यात बंद करने के विचार को मंजूरी देने पर विचार कर रहा है.

संसद के ऊर्जा आयोग के सदस्य नसीर सुडानी ने कहा, 'ईरान पर प्रतिबंध लगाने वाले यूरोपीय संघ के सदस्य देश ईरान से एक बूंद भी तेल नहीं पा सकेंगे.' ईरान ने पहले चेतावनी दी थी कि यदि उस पर प्रतिबंध थोपा गया तो वह होरमुज जलडमरू मध्य को बंद कर देगा. यह अरब देशों से तेल की ढुलाई का एक प्रमुख मार्ग है.

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समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक चीन ने कहा है कि ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना रचनात्मक कदम नहीं है. सिन्हुआ ने चीन के विदेश मंत्रालय के एक बयान के हवाले से कहा, 'ईरान पर बगैर सोचे समझे दबाव बनाना और प्रतिबंध लगाना रचनात्मक कदम नहीं है.'

मंत्रालय ने कहा कि चीन अंतरराष्ट्रीय विवादों का बातचीत के जरिए समाधान किए जाने की वकालत करता है और आशा करता है कि सम्बंधित पक्ष ऐसे कदम उठाएंगे, जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के अनुकूल हों. इस बीच ईरान के होरमुज जलडमरूमध्य को बंद करने की चेतावनी पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने उससे आग्रह किया कि वह होरमुज जलडमरूमध्य को बंद नहीं करे, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वाणिज्य के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है.

बान ने एक जनवरी को शुरू हुए अपने दूसरे पांच वर्षीय कार्यकाल के बाद बुधवार को अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार का एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है.' सिन्हुआ के मुताबिक बान ने कहा, 'समुद्री कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के मुताबिक खुले समुद्र में किसी भी जहाज के मुक्त आवागमन का सम्मान किया जाना चाहिए और उनकी रक्षा की जानी चाहिए.' लगभग 20 फीसदी सलाना अंतरराष्ट्रीय तेल ढुलाई इस मार्ग से होती है.

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