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गांधीवादी तरीके से ही जगायी जा सकती है विश्वशांति की अलख: विशेषज्ञ

अफगानिस्तान, इराक, पाकिस्तान, लीबिया, सोमालिया समेत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जारी युद्ध, संघर्ष और हिंसा के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि आज भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अहिंसा और सत्याग्रह की नीतियां बेहद प्रासंगिक है और सिर्फ इन्हीं की अलख जगाकर विश्व शांति कायम की जा सकती है.

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महात्मा गांधी
महात्मा गांधी

अफगानिस्तान, इराक, पाकिस्तान, लीबिया, सोमालिया समेत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जारी युद्ध, संघर्ष और हिंसा के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि आज भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अहिंसा और सत्याग्रह की नीतियां बेहद प्रासंगिक है और सिर्फ इन्हीं की अलख जगाकर विश्व शांति कायम की जा सकती है.

इलाहाबाद स्थित कस्तूरबा गांधी केंद्र के अध्यक्ष और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर आर पी मिश्र ने कहा, ‘विश्व के कई हिस्सों में जहां हिंसा और संघर्ष चल रहा है वहीं मिस्र, लैटिन अमेरिका, चीन, म्यामां समेत पूरी दुनिया में लोग गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए अहिंसक तरीके से क्रांति की अलख जगाये हुए हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मिस्र में गांधी के प्रशंसकों ने पिछले कई वर्ष से सत्ता पर काबिज हुस्नी मुबारक को अहिंसक तरीके से पद छोड़ने के लिये मजबूर कर दिया. भारत में अन्ना हजारे समेत विश्व स्तर पर लोग गांधी जी के सिद्धांतों को अपना रहे हैं.’

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मिश्र ने बताया, ‘लेह वालेसा ने पोलैंड में क्रूर कम्युनिस्ट शासन को गांधीवादी तरीके से चुनौती दी. मजदूर संघ सोलिडेरिटी के नेता वालेसा ने 31 अगस्त 1980 को गडास्क शिपयार्ड से अपने आंदोलन की शुरूआत की. उन्होंने बताया कि लेह वालेसा ने अहिंसक तरीके से गांधी जी के सत्याग्रह का अनुसरण करते हुए अपने आंदोलन को आगे बढ़ाया और अंतत: सफलता पाई. नोबल पुरस्कार से सम्मानित किये जाते समय वालेसा ने माना कि वह महात्मा गांधी जी के रिणी हैं.

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर तुलसी राम ने कहा कि वर्तमान अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत और अमेरिका ने गांधी जी के विचारों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है जबकि यह विश्व शांति में कारगर भूमिका निभा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘विश्वभर में बढ़ रहे हमलों के पीछे अमेरिका की प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने की नीतियां काफी हद तक जिम्मेदार है. अमेरिका और नाटो सेनायें लीबिया में शांति के नाम पर बिना किसी उकसावे के बमबारी करती हैं लेकिन बहरीन के मामले में वे चुप हैं.’

तुलसीराम ने कहा, ‘अमेरिकी नीतियों के कारण आने वाले समय में इराक, अफगानिस्तान और कई अफ्रीकी देशों में हिंसा में और बढ़ोत्तरी होगी.’ गौरतलब है कि अमेरिका समेत कई देशों में आज का दिन विश्वशांति दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाये जाने का उद्देश्य बच्चों को बचपन से ही शांतिपूर्ण विश्व के बारे में शिक्षित करना है.
17 नवंबर को विश्वशांति दिवस पर विशेष

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