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जुआ: पूरब की दुनिया के बाजीगर

भारतीय जुआरियों के लिए भले ही गोवा और सिक्किम के दरवाजे खुल चुके हैं लेकिन दीपावली के पास आने पर वे एशिया के आकर्षक जुए के नए ठिकानों का रुख कर रहे हैं.

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हरे रंग के मखमली कपड़े में लिपटी हुई मेज पर कोहनी टिकाए ये हैं मुंबई के निवेश बैंकर 35 वर्षीय वीरेन मेहरा जो पत्ते बांट रही क्रूपियर (जुए के खेल का मालिक जो पैसे का लेन-देन करता है) चीनी महिला की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं. दुनिया के सबसे बड़े इस कसीनो (जुआघर) से न तो उन्हें डर लग रहा है और न ही वे चकित हैं.
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भव्य, विस्तृत और आलीशान झूमरों से सुसज्जित 2.2 अरब डॉलर का वेनेशियन मकाओ (40 मंजिला होटल और कसीनो रिसॉर्ट) इतने बड़े इलाके में फैला है कि इसमें फुटबॉल के 10 मैदान समा सकते हैं. मेहरा इस बात को पूरी तरह नरजअंदाज कर देते हैं कि सिगरेट से लगातार धुएं के छल्ले छोड़ रहे चीनी लोगों के बीच उस मेज पर वे अकेले भारतीय हैं. पीला जैकेट पहनी परिचारिकाएं पानी, संतरे का रस और दूध की ठेलियों से बाजी लगाने वाले लोगों के ग्लास भर रही हैं.दीवाली पर लोग खेलते हैं जुआ

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बीच-बीच में कुछ मेजों से उठने वाले नाराजगी के स्वर तंबाकू की गंध से भरी एयरकंडीशन की हवा की खामोशी तोड़ते हैं. मेहरा यहां के नियमित खिलाड़ी हैं, साल में छह-सात बार विमान से हांगकांग आकर और फिर यहां से 45 मिनट की दूरी नाव से तय कर मकाउ (जिसे मकाओ भी कहा जाता है) पहुंच जाते हैं.

वे कॉर्पोरेट के दिग्गजों और बचत का पैसा निवेश करने वालों के साथ लाखों रु. का कारोबार करते हैं. कारोबार की जगह होती है द वेनेशियन या मकाउ गोल्फ ऐंड कंट्री क्लब का वह स्थान जहां जुआ खेला जाता है. जुए के खेल का मेहरा का रिकॉर्ड कुछ ऐसा हैः दांव पर लगाए 50 लाख रु. और जीते 45 लाख रु. यानी कुल 5 लाख रु. का नुक्सान हुआ. उनका पसंदीदा गेम क्या है? ''पोकर. क्योंकि इसमें दिमाग को तेज दौड़ाना पड़ता है, तेजी से सोचना होता है. अंकों की अच्छी समझ और जबरदस्त हिम्मत होनी चाहिए. ठीक वही जिसकी कि मुझे अपने किस्म के काम में जरूरत होती है.''भारत में बढ़ रहा है जुए का चलन

मेहरा भारतीय जुआरियों की उस नई नस्ल का हिस्सा हैं जिनके पास खर्च करने के लिए ढेर सारा पैसा है और जो अपनी किस्मत आजमाने के लिए सीधे उड़ान भरकर आकर्षक विदेशी स्थानों पर जा रहे हैं. दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हांग-कांग जाने वाली देर रात की उड़ान में ज्यादातर पुरुष होते हैं. इनमें चंडीगढ़ के सिख कारोबारियों के झुंड होते हैं जो उड़ान में बैठकर बीयर और व्हिस्की मिलाकर पीते हैं और हिंदीभाषी प्रदेशों के उद्यमी होते हैं जो विमान उड़ने से पहले ही भीतर मौजूद मनोरंजन के साधनों का लुत्फ उठाना शुरू कर देते हैं.

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26 अक्‍टूबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे अंक 

यहां नियमित तौर पर आने वाले राकेश कुमार (नाम बदल दिया गया है), जो इंदौर के कारोबारी हैं, जब भी कसीनो आते हैं हर बार लगभग 10,000 डॉलर खर्च करते हैं. उन्हें सिंगापुर के कसीनो पसंद हैं क्योंकि वे ''एशिया के सबसे सुरक्षित जुआघर हैं.'' वे कहते हैं, ''यहां कोई अश्लील हरकत नहीं होती.'' यहां दस बार आ चुके राकेश कुमार की किस्मत केवल एक बार ही चमकी है.पूर्वी एशिया में बढ़ रहा है जुआघर

उड़ानें जुए के घरेलू अड्डों-गोवा और सिक्किम की सीमा से भारतीय जुआरियों को बहुत आगे लेकर जा रही हैं. मकाउ में भारतीय पर्यटकों की संख्या 2002 में 5,000 थी जो 2010 में बढ़कर 1.69 लाख हो गई. चीनी पयर्टकों के बाद यहां आने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या सबसे ज्यादा है और मकाउ, जहां 34 कसीनो हैं, की जुए की मेजों पर भारतीय दिखने लगे हैं.

कोलकाता के शेयर दलाल 35 वर्षीय पवन बागरी कहते हैं, ''यहां के कसीनो में मोबाइल के आकार की, 1,000 हांगकांग डॉलर की, चिप लिए भारतीय देखे जा सकते हैं जो बेकरा (जुए का एक खेल) के एक ही राउंड में एक पेटी (एक लाख रु.) दांव पर लगा देते हैं.''

12 अक्‍टूबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे अंक

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भारतीय, जिन्हें सिंगापुर टूरिज्म बोर्ड (एसटीबी) शहर में सबसे ज्यादा खर्च करने वाला मानता है, सिंगापुर के दो सबसे बड़े कसीनो में सबसे बड़ी बाजी लगाने वाले भी हैं. इन कसीनो ने इस साल की कमाई का लक्ष्य 6.5 अरब डॉलर रखा है और 2014 तक इसके 8 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें से लगभग आधा भारतीय, चीनी, ऑस्‍ट्रेलियाई और चीनी पर्यटकों की ओर से आएगा.जुआघर

श्रीलंका, जहां जुए पर रोक है, में इसे वैधानिक बनाने की प्रक्रिया जारी है. वह अपनी आर्थिक दशा सुधारने के लिए भारतीय पर्यटकों पर नजरे गड़ाए है. श्रीलंका टूरिस्ट बोर्ड के चेयरमैन नलाका गोदाजे कहते हैं, ''पिछले तीन बरसों में यहां के पर्यटकों में भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा है और हम मनोरंजन के क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं.''

भारत में सार्वजनिक रूप से जुआ कानूनन सिर्फ गोवा और सिक्कम में ही खेला जा सकता है. देश में कहीं और सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1867 का उल्लंघन करने पर जुर्माने या एक साल की कैद का प्रावधान है. हालांकि 2010 केपीएमजी रिपोर्ट के मुताबिक, जुआ भूमिगत उद्योग के रूप में 60 अरब डॉलर (2.7 लाख करोड़ रु.) की रफ्तार से हर साल बढ़ रहा है.

इसी पर तो विदेशी ठिकाने नजरें गड़ाए हुए हैं. बरसों तक काठमांडो जुए का पंसदीदा ठिकाना हुआ करता था लेकिन अब इसके सभी आठ कसीनो टैक्स जमा नहीं किए जाने की वजह से बंद होने की कगार पर हैं इसलिए यहां का आकर्षण कम होता जा रहा है. अब भारतीय जुआरियों का नया ठिकाना है या तो मकाउ, जो चीन के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र को 15 अरब डॉलर का सालाना कारोबार देता है और यह लास वेगास के कारोबार से चार गुना अधिक है, की चमचमाती गेमिंग टेबल, या फिर सिंगापुर के झ्लिमिलाते मेरिना बे सैंड्स कसीनो के घुमावदार ऊंचे टॉवर.

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दोनों ही शहरों में दिल्ली और मुंबई से सीधी उड़ानें हैं. .जेनिथ हॉलीडेज की जिनल शाह कहती हैं, ''मकाउ आने-जाने का कुल खर्च महज 23,000 रु. है यह लगभग उतना ही खर्च है जितना दिल्ली से पोर्ट ब्लेयर में जाने में लगता है.''

मकाउ में भारतीय पर्यटकों की बाढ़ तब आनी शुरू हुई जब 2009 में इंटरनेशनल इंडियन फिल्म अवॉर्ड्स के मौके पर अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरुख खान तक आधा बॉलीवुड यहां की धरती पर उतर आया. इस समारोह से जाहिर हो गया था कि पुर्तगाल के इस पूर्व उपनिवेश में इतना जबरदस्त कसीनो बूम कैसे आया.

मकाउ में तीन भारतीय रेस्तरां की मालिक 52 वर्षीय अरुणा झा कहती हैं, ''जब मकाउ इतना नजदीक है तो कोई भी भारतीय जुआरी आधी दुनिया पार कर लास वेगास जाने के लिए वीसा झंझ्टों में क्यों पड़ेगा?'' मकाउ तो भारतीयों को यहां आने के बाद वीसा की पेशकश करता है. कथक नृत्य की शिक्षक झा 28 साल पहले देहरादून से यहां आकर बस गई थीं. वे कहती हैं, ''मैं दुनिया की कसीनो राजधानी में हूं और अब मुझे चौथा रेस्तरां खोलने की जरूरत है.'' भारतीय पर्यटकों के लिए चार और भारतीय रेस्तरां खुल चुके हैं.

सिंगापुर में 2010 में दो कसीनो खुले थे-एक सेंटोसा में और दूसरा मेरिना बेस सैंड्स में. इनमें से हरेक के निर्माण में 10 अरब डॉलर (45,000 करोड़ रु.) की लागत आई थी, अब ये आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं, भारी मुनाफा कमा रहे हैं और हजारों भारतीयों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं.

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एसटीबी का अंदाज है कि 2011 के आखिर तक सिंगापुर के कसीनो जल्द ही लास वेगास के कसीनो से आगे निकल जाएंगे और मकाउ के बाद सिंगापुर जुए का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बन जाएगा. एक अनुमान के मुताबिक साल के अंत तक दस लाख भारतीय सिंगापुर के चांगी हवाईअड्डे पर उतरेंगे और वहां लगभग 75 करोड़ रु. खर्च करेंगे, जो पिछले साल खर्च किए गए 56 करोड़ रु. की तुलना में कहीं ज्यादा है. नोमुरा एशिया के रिजनल गेमिंग के प्रमुख की चूंग का अंदाजा है, ''इसमें से 15 से 20 फीसदी कसीनो में जाते हैं.''

रातोरात अमीर बनने का अपना सपना पूरा करने के लिए पांच भारतीयों ने शहर के मेरिना बे सैंड्स कसीनो में फर्जी चिपों की मदद से जुआ खेला था. उन सबको इस साल जनवरी में गिरफ्तार कर लिया गया.

सिंगापुर में महज दो बरसों में भारतीय रेस्तरांओं की संख्या भी दोगुनी हो गई है. 2009 में यहां 45 रेस्तरां थे जो इस साल 82 हो गए हैं. वहां पर 384 चीनी रेस्तरां हैं, जिनके बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा भारतीय रेस्तरां ही हैं. सिंगापुर के लगभग सभी शॉपिंग मॉल और होटलों में भारतीय भोजन मिलता है. चीनी जुआरियों की संख्या सिंगापुर और मकाउ, दोनों ही जगह भारतीय जुआरियों से ज्यादा है, यह आंकड़ा 10:1 का है.

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चीनी जुआरी जहां अपनी किस्मत आजमाने के लिए खेलते हैं वहीं भारतीयों को जुआ खेलने की सामाजिक और धार्मिक मंजूरी भी मिली हुई है, खास तौर पर तब जब दीपावली का त्यौहार पास होता है. झा याद करती हैं कि किस तरह उनके रेस्तरां का एक ग्राहक, दिल्ली का पत्थर व्यापारी अपना फोन नहीं उठा रहा था क्योंकि उसने अपने परिवार को बता रखा था कि वह राजस्थान में पत्थर की एक खदान पर है. झा के एक पक्के जुआरी ग्राहक के परिवार को उस वक्त सदमा पहुंचा था जब उन्हें मकाउ में उसकी मौत की खबर दी गई; परिवार  के मुताबिक उसे उस समय मुंबई में होना चाहिए था.

यह क्या इस वजह से कि वेश्यावृत्ति और जुए को एक दूसरे के साथ जोड़कर देखा जाता है? और क्योंकि इसके साथ गैरकानूनी होने का भाव जुड़ा है? मकाउ में रूसी और चीनी वेश्याओं के आमंत्रण कार्ड जगह-जगह बिखरे पड़े रहते हैं, रास्तों पर जहां-तहां उनके सेलफोन नंबर भी लिखे होते हैं. यहां पर एक लतीफा भी चलता है कि लगभग एक दर्जन भारतीय पर्यटक एक गुस्साई रूसी वेश्या से कीमतों में भारी छूट के लिए मोल-तोल कर रहे थे. ऊंची एड़ी के सैंडिल पहनी वेश्याएं हैंडबैग लटकाए ग्राहकों की तलाश में बार और कसीनो के बाहर डोलती और लोगों को ललचाती रहती हैं. पर्यटन एजेंट इस तरह की गतिविधि को सभ्य और विनम्र भाषा में ''नाइटलाइफ'' कहते हैं.

लेकिन सेक्स से ज्यादा महत्वपूर्ण भोजन है.  मुंबई के 47 वर्षीय कारोबारी हितेश शाह जैसे जुआरी गोवा और सिंगापुर ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि यहां उन्हें अपना पसंदीदा भारतीय शाकाहारी भोजन मिल जाता है. गोवा में 2008 में समुद्र के बीच तीन कसीनो आने से लाइव गेमिंग की शुरुआत हुई थी. आज गोवा में 24 कसीनो हैं जिनसे राज्य हर साल 250 करोड़ रु. का मुनाफा कमा रहा है. सिक्किम, जहां एक पांच सितारा होटल में इसी साल दूसरा कसीनो खुला है, में 2013 में पाकयांग में हवाईअड्डा बन जाएगा और यह राज्य अभी से काठमांडो जाने वाले जुआरियों पर नजरें टिकाए है.

गोवा का कसीनो व्यवसाय पिछले तीन बरसों में 500 फीसदी बढ़ गया है और यह मकाउ और सिंगापुर से टक्कर लेने की तैयारी कर रहा है. गोवा की सबसे बड़ी गेमिंग कंपनी सीपी ग्रुप के प्रवक्ता श्रीनिवास नायक कहते हैं, ''आसान पहुंच, व्यक्तिगत सेवाएं और स्थानीय भोजन हमें पसंदीदा ठिकाना बनाते हैं.'' भारतीय जुआरियों के लिए लाल कालीन तो बिछाया जा चुका है.

-रोशनी जयकृष्णन और किरण तारे

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