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एंट्रिक्स-देवास सौदे में घोटाले की बात बकवास: नायर

इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने इन सुझावों को बकवास कहकर खारिज कर दिया कि समाप्त किये जा चुके विवादास्पद एंट्रिक्स देवास सौदे में घोटाला हुआ था. उन्होंने इस बात को दोहराया कि सरकारी खजाने को भारी नुकसान का आकलन पूरी तरह गलत है.

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इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने इन सुझावों को बकवास कहकर खारिज कर दिया कि समाप्त किये जा चुके विवादास्पद एंट्रिक्स देवास सौदे में घोटाला हुआ था. उन्होंने इस बात को दोहराया कि सरकारी खजाने को भारी नुकसान का आकलन पूरी तरह गलत है.

उन्होंने कहा कि लोग स्पेक्ट्रम को उपग्रह ट्रांसपोंडर को लीज पर दिये जाने से मिला रहे हैं. उन्होंने कहा कि दोनों भिन्न मुद्दे हैं. ‘इसरो का लेनादेना केवल ट्रांसपोंडरों के लीज पर देने से हैं.’ उन्होंने कहा कि इसरो को देवास को दो ट्रांसपोंडर देने थे. मिसाल के तौर पर टाटा स्काई ने अपने इस्तेमाल के लिए एक उपग्रह के 12 ट्रांसपोंडरों को अपने इस्तेमाल के लिए ले लिया है.

नायर ने कहा कि यदि इसरो किसी परिचालक को ट्रांसपोंडर देता है तो वह भारतीय उपमहाद्वीप में दूरसंचार विभाग से अनुमति मिले बिना अपलिंकिंग, डाउनलिंकिंग और बीमिंग नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि उनकी समझ से 2009 के अंत तक देवास दूरसंचार विभाग से लाइसेंस प्राप्त करने का प्रयास कर रहा था और उसे तब तक लाइसेंस नहीं मिला था.

उन्होंने कहा, ‘पूरी बात का स्पेक्ट्रम इस्तेमाल या किसी अन्य चीज से कोई लेनादेना नहीं था तथा 20 हजार करोड़ रुपये के रूप में पेश की गयी राशि पूरी तरह से गलत है.’ नायर ने कहा, ‘इसरो का बजट मुश्किल से 4000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष है. यदि मैं (इसरो) दो ट्रांसपोंडरों की आपूर्ति से 20 हजार करोड़ रुपये हासिल कर सकता हूं तो इसरो को सरकार से कोई सहयोग लेने की क्या जरूरत है.’

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उन्होंने कहा कि ट्रांसपोंडर की लागत की अंतरराष्ट्रीय बाजार में चल रही कीमतों से तुलना की जानी चाहिए. ‘पूरे सौदे को घोटाले आदि से जोड़ने का प्रयास है, यह मुद्दे की गलत समझ पर आधारित है.’ नायर ने कहा, ‘डीओएस (अंतरिक्ष विभाग) की ओर से 2009 के अंत या 2010 के शुरू (जब राधाकृष्णन अध्यक्ष थे) में एक पत्र उच्च अधिकारियों को भेजा गया. इसमें कहा गया कि किसी न किसी कारण से करार (एंट्रिक्स-देवास) को स्थगित करना है.

पहला प्रस्ताव यहां (डीओएस) से भेजा गया.’ उन्होंने कहा कि इस पत्र से करार को लेकर बहस और चर्चा शुरू हो गयी. इस पत्र में जान बूझकर कदम (राधाकृष्णन द्वारा) उठाने का संकेत मिलता है. ‘इसका मतलब है कि आपने (राधाकृष्णन ने) किसी चीज पर कदम उठाने के लिए मन बना लिया था और उसके बाद उस निर्णय के लिए सारे तर्क तलाशे गये.’ नायर ने कहा कि ऐसा पहले कभी सुना नहीं गया.

उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई घोटाला शामिल नहीं हैं.’ उन्होंने ध्यान दिया कि जब लोगों ने स्पेक्ट्रम सुना तो उन्होंने इसे घोटाला और जाने क्या क्या कह दिया. पूर्व इसरो प्रमुख ने यह बात जोर देकर कही कि वह देवास का बचाव नहीं कर रहे हैं. ‘मेरा इससे कुछ लेनादेना नहीं है.’ नायर ने कहा, ‘एंट्रिक्स का किसी भी तरह स्पेक्ट्रम से लेनादेना नहीं है. हमने उन्हें एक उपकरण (ट्रांसपोडर) दिया ताकि अंतरिक्ष में सिग्नल भेजे जा सकें.’

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एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तीन अन्य प्रख्यात वैज्ञानिक जिन्हें उनके साथ सरकारी नौकरियों को हासिल करने से रोक दिया गया है, बुरी तरह से खिन्न हैं और महसूस कर रहे हैं कि उनके साथ पूरी तरह से अन्याय किया गया है. प्रख्यात वैज्ञानिक ने कहा, ‘कुछ लोगों द्वारा यह गलत काम (पाबंदी लगाने का काम) किया गया है और मुझे उम्मीद है कि सरकार समझेगी और समुचित कदम उठायेगी.’

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