राष्ट्रपति पद के लिए एपीजे अब्दुल कलाम के लिए तृणमूल के अभियान के बावजूद कांग्रेस ने अब भी उम्मीद नहीं छोड़ी है. कांग्रेस को उम्मीद है कि तृणमूल कांग्रेस अंतत: यूपीए उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन करेगी.
कांग्रेस यह भी संकेत दे रही है कि राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के विद्रोह के बाद उसकी अपनी पश्चिम बंगाल इकाई द्वारा इस दल से नाता तोड़ने की मांग के बावजूद वह ममता बनर्जी की पार्टी के संप्रग में बने रहने के पक्ष में है.
कांग्रेस का मत है कि प्रणब मुखर्जी के पक्ष में उनके गृह राज्य बंगाल में जैसे-जैसे समर्थन बढ़ता जाएगा, बनर्जी के लिए राज्य से राष्ट्रपति पद के लिए अब तक के सबसे पहले उम्मीदवार के लिए विरोध करना मुश्किल हो जाएगा.
यह उम्मीद केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल की इस टिप्पणी के मद्देनजर अहम है कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी भी संप्रग के अन्य सहयोगियों की तरह राष्ट्रपति पद के लिए प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी को स्वीकार लेंगी.
केन्द्रीय मंत्री एवं उत्तर प्रदेश से कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जायसवाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘लोग उम्मीदवार सुझाते हैं. उसके बाद आम सहमति से जो भी फैसला होता है, हर कोई उसे स्वीकार करता है. ममता बहुत वरिष्ठ नेता हैं और हमें उम्मीद है कि उन्हें भी यह स्वीकार्य होगा. यदि हर कोई सहमत होता है और पूरा गठबंधन सहमत है, तो मुझे लगता है कि वह भी सहमत होंगी.’
कांग्रेस आलाकमान भी इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल में प्रदेश कांग्रेस और तृणमूल के बीच खींचतान को ज्यादा महत्व नहीं दे रहा और वह सरकार से हटने की प्रदेश इकाई मांग को मुहर लगाने के मूड में नहीं है.
पश्चिम बंगाल में एक तृणमूल मंत्री ने कहा है कि कांग्रेस राज्य के ममता बनर्जी मंत्रिमंडल को छोड़ने के लिए स्वतंत्र है. उनका टिप्पणी तब आयी जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने ममता के संप्रग के उम्मीदवार को खारिज करने के बाद राज्य सरकार से कांग्रेस के मंत्रियों के हटने की धमकी दी.
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने इस घटना को कोई तवज्जो नहीं दी और पश्चिम बंगाल सरकार से हटने के लिए कांग्रेस की ओर से पहला कदम उठाने या तृणमूल को संप्रग से हटने के लिए बाध्य करने की संभावना से इनकार किया.
इस वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘आपने गौर किया होगा कि कांग्रेस का नाम आधिकारिक रूप से बतौर उम्मीदवार घोषित होने के बाद उन्होंने (ममता बनर्जी ने) कांग्रेस पर हमला करने से परहेज किया. आपने यह भी देखा कि प्रणव ने ममता को अपनी बहन कहकर संबोधित किया और उनसे अपने पक्ष में मतदान की अपील की. चीजें हल कर ली जाएंगी.’
एक अन्य वरिष्ठ पार्टी नेता ने अलग से कहा, ‘यदि ममता स्वयं अलग रास्ता नहीं अख्तियार करती तो कांग्रेस ऐसा कुछ नहीं करेगी कि संप्रग की नौका हिचकोले खाने लगे.’
उन्होंने कहा, ‘जहां तक नये नाम सुझाने की बात है तो सभी गठबंधन भागीदार तब तक सुझाव देने को स्वतंत्र हैं जबतक सामूहिक निर्णय नहीं ले लिया जाता. उन्होंने सुझाव दिया जिसे संप्रग ने स्वीकार नहीं किया और उसने सामूहिक रूप से प्रणब मुखर्जी को उम्मीदवार घोषित किया.’
कांग्रेस का एक वर्ग महसूस करता है कि पश्चिम बंगाल में ममता की राजनीति के लिए यह बेहतर होगा कि वह प्रणब मुखर्जी का समर्थन करें क्योंकि वह राष्ट्रपति चुनाव में मतदान का यदि बहिष्कार करती हैं तो उनके खिलाफ एक गलत संदेश जाएगा और एक गलत परंपरा कायम होगी.