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बेल्‍लारी बंधु: स्वर्ण सिंहासन से सीखचों तक

खनन क्षत्रप जनार्दन रेड्डी जेल में हैं. उनके भाई डरे-छिपे भाग रहे हैं. उन्होंने जो 5,000 करोड़ रु. बचाए, वे अब किसी काम के नहीं, क्योंकि कानून अब उनसे बेल्लारी की करतूतों की पाई-पाई वसूल रहा है.

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बेल्‍लारी बंधु
बेल्‍लारी बंधु

उनका 15 किलो वजनी सिंहासन जब्त कर लिया गया है, जिस पर उनके नाम की तख्ती है. उनका बेल हेलिकॉप्टर, जिसका नाम रुक्मणी था, अब जमीन पर खड़ा है. लौह अयस्क खनन के शहंशाह गली जनार्दन रेड्डी के लगभग 20 कारिंदों के घरों पर अब तक छापे पड़ चुके हैं, और बाकी पर किसी भी दिन छापा पड़ सकता है. कई फरार हो चुके हैं और अपनी गैरमौजूदगी में जांच एजेंसियों का सामना करने के लिए पत्नी, बच्चों, क्लर्कों और चौकीदारों को छोड़ गए हैं. राज्‍य के नए मुख्यमंत्री अपनी 'साफ-सुथरी' छवि कायम करने में लगे हैं.
19 अक्‍टूबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे अंक

अवैध खनन और भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआइ की गिरफ्त में फंसे जनार्दन रेड्डी का 'साम्राज्‍य' किसी तेलुगु फिल्म के सेट की तरह ढह रहा है. सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय अधिकारप्राप्त समिति (सीईसी) की रिपोर्ट और कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगड़े की भारी-भरकम रिपोर्ट के बूते सीबीआइ के संयुक्त निदेशक वी. वी. लक्ष्मीनारायणन की टीम राज्‍य में रेड्डी की खनन गतिविधियां तेजी से बंद करा रही है. राज्‍य सचिवालय विधान सौध के शीर्ष अधिकारियों को खुलेआम काम करने वाले, आधुनिक युग के अविश्वसनीय माफिया, जिसने जनार्दन और उनके भाइयों के लिए अनुमानित 5,000 करोड़ रु. जुटाए, और जिसके बारे में अंदेशा है कि इस रकम को आइजल ऑफ मैन सहित कुछ टैक्स स्वर्गों में जमा करके रखा गया है, के कफन में आखिरी कील ठोकने के लिए लगा दिया गया है.

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5 अक्‍टूबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे अंक 

रेड्डी की धन-दौलत हैरान करती है. लोकायुक्त रिपोर्ट के मुताबिक, महज 2009-2010 में रेड्डी के अवैध निर्यात साम्राज्‍य ने 4,635.86 करोड़ रु. की कमाई की, जिसमें उनकी तरफ से न कोई भारी-भरकम निवेश किया गया था, न मेहनत की गई थी. करीब 1 करोड़ 27 लाख टन अवैध लौह अयस्क का निर्यात चीन, ब्राजील और पूर्वी एशियाई देशों सहित दुनिया भर में और रेड्डी की सिंगापुर और हांगकांग में खड़ी की गई दिखावटी कंपनियों को किया गया था. रेड्डी के अयस्क धंधे को (2002 के बाद से) शुरुआती बढ़त मिली चीन में मांग से, लेकिन जल्द ही उसने अन्य बाजार भी खोज लिए, 5,500 रु. प्रति टन के हिसाब से, जैसा कि खुद जनार्दन रेड्डी ने कहा था, रोजाना 5 करोड़ रु. जुटा लिए जाते थे.

28 सितंबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे अंक

सारी संपत्ति रेड्डी भाइयों के लिए अब बेमानी हो चुकी है. जनार्दन जेल में हैं और उनके बड़े भाई 47 वर्षीय के. करुणाकर और 46 साल के सोमशेखर सीबीआइ से किसी भी दिन बुलावा आने के डर से दुबके हुए हैं. उनके 'मुंहबोले भाई' और ग्रुप की ओर से जननेता के तौर पर पेश किए जाने वाले 39 बरस के बी. श्रीरामुलु उनकी 'अम्मा', लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से मिलने का समय मांगने और हाशिये से बाहर निकलने का रास्ता खोजने में समय बिता रहे हैं.
21 सितंबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे अंक
 

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जनार्दन के सबसे खौफनाक कारिंदे- करापुडी महेश और स्वास्तिक नागराज, जो रेड्डी कुनबे के लिए काम करने के पहले तक छोटे-मोटे उद्यमी होते थे, धरे जा चुके हैं और उनसे घंटों पूछताछ हो चुकी है. श्रीरामुलु के विधायक भतीजे सुरेश बाबू का 25 साल का दोस्त अली खान, जो सारे ग्रुप के लिए साधनों का इंतजाम करता था, गायब है.

मृदु भाषी और गलत समझे जाने की हद तक सौम्य जनार्दन के बारे में कहा जाता है कि वे खुद को 14 वीं सदी के विजयनगर सम्राट कृष्णदेव राय का अवतार मानते थे. उनके घर पर 5 सितंबर को पड़े सीबीआइ के छापे में बाकी चीजों के साथ बारीकी के साथ बनाया गया एक स्वर्ण मुकुट भी निकला. कहा जाता है कि इससे जनार्दन ने प्राचीन विजयनगर साम्राज्‍य की राजधानी हंफी में एक गुप्त समारोह में अपना 'राज्‍यारोहण' किया था.

उनकी 'राजशाही' छवि के मुताबिक, जनार्दन के घर की थालियां, चम्मच, कांटे, पूजा के बर्तन और यहां तक कि स्नानागार की फिटिंग्स तक सोने की बनी हैं. उनके यहां एक इंडोर स्वीमिंग पूल है, जिसमें तैरते हुए वे 70 मिमी के परदे पर फिल्में देखते थे. उनका एक मालिश कक्ष था, एक भरापूरा बार था, उम्दा होम थिएटर, और यहां तक कि उनके घर में बमबारी से बचने का भी एक ठिकाना था.  वे 13 लाख रु. की रत्न जड़ित बेल्ट बांधते थे और सोने से मढ़ा हुआ ब्लैकबेरी रखते थे.

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हालांकि उन्हें धूम्रपान करते हुए नहीं देखा गया, लेकिन उनके घर में सोने से मढ़ी हुई ऐश-ट्रे और लाइटर थे. उनके नजदीकी लोगों के मुताबिक, जनार्दन का घोषित लक्ष्य भाई करुणाकर को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनते देखना था. हालांकि इससे बड़ा लक्ष्य अपनी पूर्व गुरु सुषमा स्वराज को भारत का प्रधानमंत्री बनवाना था. उनका आर्थिक और राजनैतिक शिकंजा भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं के जरिए नई दिल्ली तक और कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री वाइ. एस. राजशेखर रेड्डी और उनके बेटे जगनमोहन रेड्डी से आंध्र प्रदेश तक पहुंच चुका था.

कर्नाटक के बेल्लारी में जनार्दन का लफ्ज ही कानून था. भाजपा के एक शीर्ष नेता ने इंडिया टुडे से कहा, ''अगर अयस्क वाली कोई जमीन रेड्डी की निगाह में पड़ जाती थी, तो मालिकों को चुपचाप खाली करनी होती थी. अगर रेड्डी इसके लिए उन्हें कु छ भुगतान कर देते थे, तो यह उनका भाग्य होता था.'' जनार्दन की बेलगाम ताकत की कहानियां बाहर आ रही हैं.

नाम न बताने की शर्त पर कर्नाटक के एक वरिष्ठ मंत्री ने इंडिया टुडे से कहा, ''कर्नाटक में भाजपा के सरकार बनाने के पहले ही हम उनकी जकड़ में आ चुके थे. हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व पर उनका दबदबा था, स्वराज और नितिन गडकरी उन्हें खुलेआम स्वीकार करते थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री बी.एस. येद्दियुरप्पा उनके हाथों में बेबस थे.'' यह भरोसा करना मुश्किल है कि रेड्डी युग का अंत हो गया है.

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जनार्दन की गिरफ्तारी का असर उस जिले में गूंज रहा है, जहां लोगों ने पिछले तीन साल उनकी बंदूकों से लैस 2,000 से ज्‍यादा गुंडों की 'सेना' की लगातार चलने वाली निगहबानी में बिताए हैं. मीडिया सहित शहर में आने वाले हरेक शख्स पर निगाह रहती थी और खतरा होता था. अब जब 'बेल्लारी का सुल्तान' एक महीने से ज्‍यादा समय से हैदराबाद की चंचलगुडा जेल के  एक छोटे-से कमरे में कैद है तो लोग पलटवार करने लगे हैं.

बेल्लारी में ज्‍यादातर लोग भरोसा करते हैं कि जनार्दन को देवी सुग्गलम्मा का शाप लग गया है. जनार्दन के ओबुलापुरम माइनिंग कारपोरेशन (ओएमसी) ने 3 सितंबर, 2006 को बेल्लारी और आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले की सीमा पर इस देवी का एक सदी पुराना मंदिर कथित तौर पर ढहा दिया था. इस मूलभूत सीमाचिन्ह को उड़ा कर, ओएमसी सीमा को धंधला कर कर्नाटक में अवैध खनन करने में समर्थ हो गई थी.

किसान अब उस जमीन पर फिर से दावा करने की कोशिशें कर रहे हैं, जो वे खनन के कारण गवां बैठे थे. लेकिन बदलाव के असली संकव्त आम लोगों के वे संदेश हैं, जो बेल्लारी के उपायुक्त अम्लान आदित्य बिस्वास को सारे दिन मिलते रहते हैं, जिनमें उन्हें लौह अयस्क की अवैध ढुलाई के बारे में सतर्क किया जाता है. बिस्वास को सीईसी के इस निर्देश की सुरक्षा मिली हुई है कि राज्‍य सरकार उनका तबादला नहीं कर सकती, और वे राजनैतिक दबाव और धमकियों का मुकाबला करते रहे हैं.

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31 जुलाई को लोकायुक्त की रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद से वे सूचनाओं के आधार पर 49 ट्रक बरामद कर चुके हैं और अवैध लौह अयस्क के रैक वाली ट्रेनें भी रुकवा चुके हैं. वे कहते हैं, ''मेरा फौरी लक्ष्य कानून का शासन कायम करना है.'' कर्नाटक कैडर के इस 43 वर्षीय  आइएएस ने चित्रदुर्ग का उपायुक्त रहते हुए अवैध खनन पर रोक लगा दी थी. बिस्वास रेड्डी खेमे की हर हरकत पर निगाह रखे हुए हैं, खासतौर पर उन अफसरों पर जिन्होंने उनकी मदद की थी.

6 सितंबर को अपने कार्यालय पर जनार्दन के समर्थकों के हमले से नाराज बिस्वास ने जनार्दन के भाई और बेल्लारी के विधायक सोमशेखर रेड्डी के साथियों और रेड्डी भाइयों की अंतरंग मंडली के दूसरे सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करवा दिए. भाजपा के एक कार्यकर्ता कहते हैं, ''सोमशेखर ने उपायुक्त से उनके साथियों और समर्थकों के खिलाफ मामले वापस लेने की गुहार भी की, लेकिन अधिकारी ने इनकार कर दिया.''

रेड्डी 'माफिया' की हरकतों का ब्यौरा जस्टिस हेगड़े की रिपोर्ट में दर्ज है. इस रिपोर्ट ने येद्दियुरप्पा से मुख्यमंत्री की कु र्सी छीन ली. जस्टिस हेगड़े ने इंडिया टुडे  से कहा, ''मैंने गलती से इसे रिपब्लिक ऑफ बेल्लारी कह दिया था. रिपब्लिक (गणतंत्र) में लोगों की कम-से-कम आवाज तो होती है. जनार्दन जो चला रहे थे, वह तानाशाही थी.'' मुख्य वन संरक्षक यू. वी. सिंह की अगुआई में उनके पांच अधिकारियों ने 8,000 पेज की रिपोर्ट बनाई, सबूतों के लिए वेश बदलकर काम किया और जनार्दन या उनकी पत्नी से संबंधों वाले 40 लाख बैंक खातों का मिलान किया.

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रिपोर्ट में निजी, राजस्व या जंगल की जमीन पर धमकियों, घूस या बाहुबल से अतिक्रमण करने और सरकारी तंत्र को योजनाबद्ध तरीके से तहसनहस करने, जिसे जस्टिस हेगड़े ने 'बकासुर खनन' कहा है, का ब्यौरा है. वैध खदान मालिकों को वैध अयस्क की ढुलाई के लिए खेप के बाजार मूल्य का 30 से 40 प्रतिशत जनार्दन को 'जोखिम शुल्क' के तौर पर चुकाना पड़ता था.

इसके अलावा लाखों टन अवैध अयस्क 17 नाकों से होते हुए, नाममात्र की चौकीदारी वाले पश्चिमी घाट के बेलीकव्री बंदरगाह तक कर्नाटक से पार हो जाता था. एक और रास्ता बेल्लारी से आंध्र प्रदेश के कई जिलों से होते हुए पूर्वी घाट पर कृष्णापटनम बंदरगाह तक का था. अयस्क को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दुनिया भर में जहाजों से भेजा जाता था.

जनार्दन की फौज हरेक खेप की चौकीदारी करती थी, और उसे पल-पल की खबर देती थी. कांग्रेस विधायक और खदान मालिक संतोष लाड कहते हैं, ''जिला प्रशासन, पुलिस, राजस्व, खनन और वन अधिकारी सब जनार्दन के पे-रोल पर थे, और सरकार के बजाए उसके कर्मचारियों की तरह काम करते थे.'' जनार्दन पर पहला निजी मामला दर्ज कराने वाले खदान मालिक टपल एकंबरम कहते हैं, ''सुप्रीम कोर्ट ने हमारी रक्षा की. ऐसा करने की जरूरत न तो केंद्र को महसूस हुई, न राज्‍य को.''

मुख्यमंत्री गौड़ा ने अतिरिक्त मुख्य सचिव के. जयराज के तहत बनाई समिति को 700 से ज्‍यादा उन अधिकारियों को सजा कराने का काम सौंपा है, जिनके नाम जनार्दन से सांठगांठ के लिए लोकायुक्त की रिपोर्ट में आए हैं. इनमें बेल्लारी के तत्कालीन उपायुक्त बी. शिवप्पा भी हैं. रेड्डी साम्राज्‍य का इससे बुरा अंत नहीं हो सकता था.

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