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नेता नहीं शिक्षक बनना था मेरी जिंदगी का लक्ष्य: प्रणब

अपने राजनीतिक करियर में करीब पांच दशक बिताने के बाद राष्ट्रपति बने प्रणब मुखर्जी ने कहा कि नेता बनना उनकी जिंदगी का लक्ष्य कभी नहीं रहा, वह तो एक शिक्षक बनना चाहते थे.

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अपने राजनीतिक करियर में करीब पांच दशक बिताने के बाद राष्ट्रपति बने प्रणब मुखर्जी ने कहा कि नेता बनना उनकी जिंदगी का लक्ष्य कभी नहीं रहा, वह तो एक शिक्षक बनना चाहते थे.

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मुखर्जी ने कहा कि मेरे पिता कामदा किंकर मुखर्जी राजनीति में सक्रिय थे और वह एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे. छोटी उम्र से ही मैं राजनीतिक घटनाक्रमों में रुचि लेता था लेकिन मैं सक्रिय राजनीति में नहीं आना चाहता था, मैं तो शिक्षक बनना चाहता था.

राष्ट्रपति बीरभूम जिले में किरनाहर शिव चंद्र उच्च विद्यालय में छात्रों के सवालों के जवाब दे रहे थे. उन्होंने इसी विद्यालय में पांचवीं से 11वीं कक्षा तक की पढ़ाई की और इसी में रहते साल 1952 में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी.

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शिव चंद्र उच्च विद्यालय में अपने पहले दिन को याद करते हुए मुखर्जी ने कहा कि उस वक्त यह काफी छोटा था और इसमें सिर्फ दो इमारतें थीं.

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उन्होंने कहा कि आज मैं उन दिनों को याद कर रहा हूं. राष्ट्रपति को छात्रों के 13 सवालों के जवाब देने थे लेकिन वह वक्त की कमी के कारण सिर्फ चार के जवाब दे सके. उन्हें विद्यालय के दिनों के अपने कुछ मित्रों से भी मुलाकात करनी थी लेकिन वह उनसे नहीं मिल सके.

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