आंध्र प्रदेश में वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) को झटका देते हुए शुक्रवार को नेल्लोर लोकसभा और 15 विधानसभा सीटों पर कब्जा जमा लिया. इस उपचुनाव को 2014 के आम चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है.
दिवंगत मुख्यमंत्री वाई. एस. राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का गठन दो वर्ष पूर्व किया था. आय से अधिक सम्पत्ति मामले में जेल में बंद जगन के पक्ष में सहानुभूति लहर ऐसी चली कि सत्तारूढ़ दल को 18 में से मात्र दो विधानसभा सीटों से संतोष करना पड़ा, वहीं मुख्य विपक्षी तेदेपा का खाता तक नहीं खुल पाया.
जगन की पार्टी ने तिरुपति विधानसभा सीट भी जीत ली है. यहां वाईएसआर के करीबी माने जाने वाले करुणाकर रेड्डी ने कांग्रेस उम्मीदवार को 17,723 मतों से हराया. फिल्म अभिनेता से राजनेता बने के. चिरंजीवी से यहां से वर्ष 2009 का चुनाव जीते थे. उनके राज्यसभा के लिए चुने जाने से यह सीट रिक्त हो गई थी. तिरुपति सीट कांग्रेस के हाथ से निकलने को मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. यह सीट उनके गृह जिले चित्तूर के अंतर्गत आती है.
12 जिलों में फैले 18 निर्वाचन क्षेत्रों में वोटों की गिनती कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह आठ बजे शुरू हुई. मंगलवार को हुए उपचुनावों में नेल्लोर में 70 प्रतिशत व विधानसभा क्षेत्रों में 80 प्रतिशत औसत मतदान दर्ज किया गया था.
एक संसद सदस्य के इस्तीफा देने और कांग्रेस से वाईएसआरसीपी में शामिल होने पर 17 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने पर उपचुनावों की स्थिति पैदा हुई थी.
नेल्लोर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में वाईएसआरसीपी के मेकापति राजामोहन रेड्डी ने अपने नकटतम प्रतिद्वंद्वी पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस प्रत्याशी टी. सुब्बारामी रेड्डी को 290,000 से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया.
सत्तारूढ़ कांग्रेस ने दो विधानसभा सीटें जीती हैं और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को एक सीट मिली है. चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा का खाता नहीं खुला.
वाईएसआरसीपी ने वे 13 सीटें जीत ली हैं जिन पर 2009 में कांग्रेस ने कब्जा जमाया था. इस पार्टी ने एक सीट प्रजा राज्यम पार्टी (पीआरपी) से भी छीन ली है जिसका अब कांग्रेस में विलय हो चुका है जबकि टीआरएस ने कांग्रेस से एक सीट छीनी है.
इस उपचुनाव में कांग्रेस को केवल दो सीटों से संतोष करना पड़ा है. उसके लिए यह अपमानजनक स्थिति है. इन दो सीटों से 294 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस की सीटों की संख्या 154 हो जाएगी. राज्य में बमुश्किल बहुमत हासिल करने वाली इस पार्टी की स्थिति में इससे थोड़ा सुधार होगा.
टीआरएस को पारकला विधानसभा सीट पर मुश्किल से जीत मिली है. कड़े मुकाबले में टीआरएस उम्मीदवार भीक्षापति ने वाईएसआरसीपी की कोंडा सुरेखा को केवल 800 मतों से हराया. 14वें दौर की मतगणना तक वह चौथे स्थान पर थीं, लेकिन बाद में उन्होंने टीआरएस की राह थोड़ी मुश्किल कर दी. तेलंगाना क्षेत्र के केवल पारकला विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुआ था.
वाईएसआरसीपी को दो शीर्ष नेताओं पी. सुभाष चंद्र बोस और कोंडा सुरेखा की हार से झटका लगा है. ये दोनों जगन के पिता वाईएसआर के मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके थे. सुभाष चंद्र बोस को पूर्वी गोदावरी जिले के रामचंद्रपुरम निर्वाचन क्षेत्र में शिकस्त मिली.
कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व मंत्री के. सुब्बारायुडू ने पश्चिमी गोदावरी जिले की नरसापुरम सीट जीत ली है. कांग्रेस ने तटीय आंध्र प्रदेश की पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी जिले की एक-एक सीट जीती है लेकिन क्षेत्र की अन्य सात सीटों पर उसे करारी हार मिली.
वाईएसआरसीपी के प्रमुख विजेताओं में बी. श्रीनिवास रेड्डी, गुरुनाथ रेड्डी, चेन्ना केशव रेड्डी, श्रीकांत रेड्डी और धर्मना कृष्णा रेड्डी शामिल हैं. श्रीनिवास रेड्डी वह वाईएसआर परिवार के एक रिश्तेदार हैं और वाईएसआर के कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं.
वाईएसआरसीपी नेता जगन को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में 27 मई को गिरफ्तार किया था. उस समय जगन अपनी पार्टी के लिए प्रचार करने में व्यस्त थे. उनकी मां विजयम्मा व बहन शर्मिला ने कांग्रेस व तेदेपा पर जगन को निशाना बनाने का आरोप लगाकर लोगों की सहानुभूति बटोरी.
विजयम्मा ने दो सितम्बर, 2009 को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में अपने पति व तत्कालीन मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के मारे जाने के मामले में भी कांग्रेस की ओर उंगली उठाकर संशय जताया था.
साल 2010 के आखिर में कांग्रेस पर परिवार तोड़ने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए जगन ने कडप्पा लोकसभा सीट व विजयम्मा ने पुलिवेंडुला विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने वाईएसआरसीपी का गठन कर वाईएसआर द्वारा गरीबों के लिए शुरू की गई योजनाएं लागू करने का वादा किया. पिछले साल हुए उपचुनावों में दोनों ने अपनी-अपनी पिछली सीटों पर दोबारा भारी बहुमत से जीत हासिल की.
वाईएसआरसीपी ने तेदेपा विधायक के इस्तीफे से खाली हुई नेल्लोर जिले की कोवुर विधानसभा सीट भी इस साल मार्च में हुए उपचुनाव में जीती थी.