महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बम्बई उच्च न्यायालय से कहा कि उसने दो कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों को आदर्श आवासीय घोटाले में कथित रूप से शामिल रहने के आरोप के कारण निलम्बित कर दिया.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 29 जनवरी को दाखिल प्राथमिकी में अधिकारी प्रदीप व्यास और जयराज पाठक का नाम शामिल किया था. घोटाला जिस अवधि में हुआ था, उस वक्त व्यास मुम्बई के कलेक्टर थे और पाठक नगर निगम के आयुक्त थे. व्यास को सीबीआई ने बुधवार को गिरफ्तार किया था.
राज्य सरकार ने गुरुवार को उच्च न्यायालय में जमा की गई स्थिति रिपोर्ट में कहा कि दोनों अधिकारी इस घोटाले की जांच पूरी होने तक निलम्बित रहेंगे. महाराष्ट्र सरकार ने अदालत से कहा कि आदर्श घोटाले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग और सीबीआई की एक उच्च स्तरीय बैठक की गई है.
सीबीआई के मुताबिक व्यास ने अगस्त 2002 से मई 2005 के दौरान कथित तौर पर गलत दस्तावेजों को आय के प्रमाण के तौर पर स्वीकार किया और ऐसे लोगों को आदर्श सोसाइटी की सदस्यता दी, जो इसके लिए योग्य नहीं थे. उनकी पत्नी सीमा व्यास भी एक आईएएस अधिकारी हैं, जबकि उनका भी एक फ्लैट इस इमारत में है.
सीबीआई ने प्राथमिकी में कहा कि जयराज पाठक ने बीएमसी आयुक्त के अपने कार्यकाल में एक सितम्बर 2007 को इमारत की ऊंचाई को 97 मीटर से बढ़ाकर 107 मीटर करने को मंजूरी दी थी. व्यास के अलावा सीबीआई ने बुधवार को तीन और लोगों-पूर्व एमएलसी के.एल. गिडवाणी, मेजर जेनरल (सेवानिवृत्त) ए.आर. कुमार और मेजर जेनरल (सेवानिवृत्त) टी.के. कौल-को गिरफ्तार किया था.
इस घोटाले में सीबीआई ने मंगलवार को भी तीन लोगों-सेवानिवृत्त डिफेंस एस्टेट्स अधिकारी आर.सी. ठाकुर, ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) एम.एम. वांचू और राज्य शहरी विकास विभाग के पूर्व उप सचिव पी.वी. देशमुख-को गिरफ्तार किया था.