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आरोपी के तौर पर तलवार दंपति की कोर्ट में होगी पेशी

नोएडा के बहुचर्चित आरुषि हत्‍याकांड में आज बड़ा दिन है. पहली बार आरुषि के माता-पिता, राजेश तलवार और नुपुर तलवार, इस केस में कत्ल के आरोपी के तौर पर गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पेश होंगे.

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राजेश तलवार और नुपुर तलवार
राजेश तलवार और नुपुर तलवार

नोएडा के बहुचर्चित आरुषि हत्‍याकांड में आज बड़ा दिन है. पहली बार आरुषि के माता-पिता, राजेश तलवार और नुपुर तलवार, इस केस में कत्ल के आरोपी के तौर पर गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पेश होंगे. खास बात ये है कि आज ही राजेश तलवार की अंतरिम जमानत खत्म हो रही है.

इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में तलवार दंपति की तबादला याचिका पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस भेजकर चार हफ्तों में जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तलवार दंपति ने दलील दी थी कि मुख्यालय दिल्ली में होने से सीबीआई को भी जांच बेहतर ढंग से करने में मदद मिलेगी़, मामले में 64 गवाहों में अधिकतर दिल्ली में ही रहते हैं, तलवार दंपति खुद भी नोएडा से दिल्ली शिफ्ट हो गए हैं और गाजियाबाद में कोर्ट परिसर में उनपर जानलेवा हमला भी हो चुका है.

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15-16 मई 2008 की रात को नोएडा के सेक्टर-27 के जलवायु विहार मे आरुषि का क़त्ल हुआ. बंद घर में आरुषि की लाश उसी के कमरे में मिली. नौकर हेमराज मौके से गायब था. तलवार दंपत्ति ने उसी को कातिल ठहराते हुए केस दर्ज कराया लेकिन एक दिन बाद नौकर हेमराज की लाश तलवार दंपति के घर एल-32 की छत पर मिलने से मामले ने नाटकीय मोड़ ले लिया.

दोनों कत्ल में सर्जिकल ब्लेड का इस्तेमाल हुआ था. नोएडा पुलिस की जांच ने डॉ राजेश तलवार को घेर लिया. ऑनर किलिंग का शक था, उनकी गिरफ्तारी भी हुई लेकिन हत्या की गुत्थी सुलझता ना देख मामला सीबीआई को सौंपा गया और उसने राजेश और नुपूर तलवार को क्लीन चिट दे दी.

जांच के दौरान सीबीआई ने कत्ल के आरोप में तलवार के कंपाउंडर, तलवार दंपति के दोस्त डॉ दुरानी के नौकर राजकुमार और पड़ोसी के नौकर विजय मंडल को गिरफ्तार किया लेकिन सीबीआई चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई और सभी आरोपी जमानत पर छूट गए.

सीबीआई की नई टीम बनाकर फिर जांच शुरु हई. तलवार का नार्को टेस्ट भी हुआ. करीब दो साल की जांच के बाद सीबीआई ने यू टर्न लिया और कत्ल के लिए तलवार दंपति को ही जिम्मेदार ठहराया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी नुपुर तलवार की याचिका को खारिज़ करते हुये मुकदमा चलाने की निचली अदालत के आदेश को कायम रखा.

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