
इस वक्त ईरान एक गहरे संकट से गुजर रहा है. एक ओर इजरायल के लगातार हवाई हमलों में कई न्यूक्लियर साइंटिस्ट और मिलिट्री के अहम अधिकारी मारे जा चुके हैं. तेहरान समेत कई शहरों में हमलों के बाद अफरातफरी का माहौल है.
वहीं दूसरी ओर, कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका भी इस जंग में पूरी तरह इजरायल के साथ कूद सकता है.ऐसे हालात में वॉर एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस जंग का अंत ईरान में सत्ता परिवर्तन के साथ हो सकता है.
ऐसे जंग के हालात में सोशल मीडिया पर एक पुरानी कहानी फिर से चर्चा में आ गई है.16 साल की आतेफा साहलेह की कहानी, जिसने सालों पहले पूरी दुनिया को झकझोर दिया था. कई पोस्ट्स में कहा जा रहा है कि ईरान को एक मासूम लड़की का श्राप लगा है. आखिर क्या है इस दावे के पीछे की हकीकत? आइए जानते हैं.

क्या हुआ था आतेफा साहलेह के साथ?
ABC न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, 15 अगस्त 2004 को ईरान के नेका शहर में सुबह-सुबह एक लड़की को सरेआम भीड़ के सामने घसीटा गया. एक मोबाइल क्रेन को अस्थायी फांसी के फंदे में तब्दील कर दिया गया था. वहीं, 16 साल की आतेफा साहलेह को 'चरित्रहीनता' के आरोप में फांसी पर लटका दिया गया.
क्या था उसका ‘अपराध’?
ईरान की नैतिक पुलिस का कहना था कि आतेफा का एक पुरुष के साथ यौन संबंध था. इसी आरोप में उसे सजा-ए-मौत सुनाई गई, जिसे तेहरान की अपीली अदालत ने भी मंजूरी दे दी.
टूटी-बिखरी जिंदगी
आतेफा की मां की मौत एक सड़क हादसे में हो गई थी. इसके बाद उसके पिता नशे के आदी हो गए. वह अपने दादा-दादी के साथ रहती थी—खाना बनाना, घर संभालना सब कुछ वही करती थी, लेकिन भावनात्मक रूप से वह पूरी तरह अकेली थी. एक मनोवैज्ञानिक रिपोर्ट में कहा गया कि वह स्नेह और अपनापन की तलाश में थी.
निजी रंजिश में दी गई फांसी
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘Execution of a Teenage Girl’ के अनुसार, इस केस में जज ने आतेफा के प्रति निजी नाराजगी दिखाई. न्यायिक दस्तावेजों में हेरफेर कर उसकी उम्र 22 साल दर्ज की गई ताकि उसे फांसी दी जा सके,क्योंकि ईरानी कानून के तहत 18 साल से कम उम्र वालों को फांसी नहीं दी जा सकती.
ईरान में फांसी की हकीकत
ईरान, चीन के बाद दुनिया का दूसरा देश है जहां सबसे ज्यादा फांसी दी जाती है. यहां हत्या और आतंकवाद जैसे गंभीर अपराधों के साथ-साथ ‘चरित्रहीनता’ जैसे नैतिक अपराधों में भी मौत की सजा दी जाती है.