इस बारे में नीरी के वैज्ञानिक डॉ. गजानन के. खडसे ने बताया कि यह झील उल्कापात की वजह से बनी है. इस झील की क्षारता 15 हजार से 16 हजार पीपीएम है. ऐसी क्षारता में बाकी के पर्यावरण के घटक जुड़ जाते हैं तो उसके बाद यहां के पानी में मौजूद हैलोबैक्टीरिया और ऐसे ही अन्य घटकों में जो पिगमेंटेशन होता है, वह थोड़ा पिंक कलर का होता है. इसलिए झील का पानी संभवत: गुलाबी हो गया है. इस झील के गुलाबी होने का बिल्कुल सही कारण तो जो सैंपल लिए हैं, उनकी जांच के बाद ही पता लग पाएगा.