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यहां शिव मंदिर से पार्वती की मूर्ति चुराते हैं कुंवारे, अनूठी है वजह

यहां शिव मंदिर से पार्वती की मूर्ति चुराते हैं कुंवारे, अनूठी है वजह
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राजस्थान के बूंदी जिले के हिण्डोली कस्बे में एक ऐसा मन्दिर है जहां से मूर्ति चुराकर ले जाने पर कोई पुलिस केस दर्ज नहीं कराया जाता. यहां रामसागर झील के किनारे रघुनाथ घाट मन्दिर से पार्वती जी की मूर्ति चुराने के पीछे की वजह अनूठी है.
यहां शिव मंदिर से पार्वती की मूर्ति चुराते हैं कुंवारे, अनूठी है वजह
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मान्यता है कि जिस युवक की शादी नहीं हो पा रही, अगर वह इस मंदिर से गुपचुप तरीके से माता पार्वती की मूर्ति चुरा ले जाए तो उसकी शादी जल्द हो जाती है. यही वजह है कि कुंवारे युवक मन्दिर से रात के अंधेरे में गुपचुप मां पार्वती की मूर्ति उठा ले जाते हैं.
यहां शिव मंदिर से पार्वती की मूर्ति चुराते हैं कुंवारे, अनूठी है वजह
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मन्दिर में महादेव शिवलिंग के बगल में ही पार्वती जी की मूर्ति स्थापित है. महादेव जोड़े के साथ कम ही नजर आते हैं, क्योंकि कुंवारे पहले से ताक में रहते हैं. फिलहाल सावन के पहले से पार्वती जी, महादेव से बिछड़ी हुई हैं. वे किसी कुंवारे के घर पर हैं. लॉकडाउन के चलते इस बार अक्षय तृतीया जैसे मुहूर्त पर भी शादियां नहीं हुईं.
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लॉकडाउन नहीं टूटा और शादियां नहीं हुईं तो जुलाई से चार महीने के लिए देव सो जाएंगे. ऐसे में कम ही उम्मीद है कि पार्वती जी की मूर्ति, महादेव के पास जल्द लौट पाएगी. इसके बाद कतार में लगे कुंवारों को इस बार पार्वती जी की मूर्ति चुराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.
यहां शिव मंदिर से पार्वती की मूर्ति चुराते हैं कुंवारे, अनूठी है वजह
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कुंवारे घर में पार्वती जी की पूजा करते हैं और उनसे शादी की मन्नत मांगते हैं. शादी के बाद रात के अंधेरे में चुपचाप दूल्हा-दुल्हन जोड़े से आते हैं और मूर्ति स्थापित कर चले जाते हैं. पहले से वेटिंग में चल रहे युवक इसी ताक में रहते हैं और फिर वे मूर्ति को चुरा ले जाते हैं. मन्दिर में दशकों से यह परंपरा चली आ रही है.
यहां शिव मंदिर से पार्वती की मूर्ति चुराते हैं कुंवारे, अनूठी है वजह
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पिछले 35 साल से मन्दिर में पुजारी के रूप में सेवा दे रहे रामबाबू पराशर बताते है कि अब तक 15-20 बार पार्वतीजी की मूर्ति चोरी हो चुकी है और चुराने वालों की शादियां भी हो चुकी हैं. हमें चोरी का पता लग भी जाता है तो भी किसी को टोकते नहीं. साल में बमुश्किल एक-दो महीने ही पार्वती जी की प्रतिमा मन्दिर में विराजित रह पाती है. लौटते ही फिर कोई चुरा ले जाता है.
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