ग्वालियर के सिंधिया राज परिवार के प्रसिद्ध जय विलास पैलेस के रानी महल में सेंधमारी हुई है. सबसे सुरक्षित माने जाने वाले जय विलास में हुई इस घटना से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. पुलिस स्निफर डॉग के जरिये चोरों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. 12 लाख वर्गफीट से भी ज्यादा बड़ा है. इस सुंदर शाही महल की कीमत करीब 4,000 करोड़ रुपये है. महल में 400 से अधिक कमरे हैं.
(फोटो-रवीश पाल सिंह)
अति सुरक्षित माने जाने वाले जय विलास पैलेस में सेंधमारी की जानकारी मिलने से पुलिस के हाथ पैर फूल गए और सभी वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए. पुलिस और फोरेंसिक टीम ने जयविलास पैलेस के उस हिस्से से फिंगरप्रिंट और जरूरी साक्ष्य जब्त कर लिए हैं जहां सेंधमारी होना बताया गया है. फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि चोरों ने जय विलास पैलेस से क्या चुराया है. आइये आपको बताते हैं ग्वालियर का जय विलास पैलेस की खासियत.
जय विलास का दीदार करने के लिए लोग देश विदेश से आते हैं. इस पैलेस को श्रीमंत जयाजी राव सिंधिया ने साल 1874 में बनवाया था. ये पूरा राज महल तकरीबन 40 एकड़ में फैला हुआ है. इस पैलेस के जीवाजीराव सिंधिया म्यूजियम वाले हिस्से को साल 1964 में लोगों के लिए खोल दिया गया था.
(फाइल फोटो)
इस राज महल को सैकड़ों की संख्या में विदेशी कारीगरों ने बनाया था. इस पूरे महल में 400 कमरे हैं. इन कमरों में खास बात ये है कि इनकी दीवारों में सोने और चांदी से कारीगरी की गई है.
(फाइल फोटो)
राज घराने में 3500 किलो के दो झूमर लगे हैं ऐसा बताया जाता है कि जब यह झूमर लगाए गए थे. तब छत पर 10 हाथियों को 7 दिनों तक चढ़ाए रखा था. जिससे महल की छत कितनी मजबूत है इसका अंदाजा लग सके. साल 1874 में जय विलास पैलेस की कीमत 200 मिलियन डॉलर थी. इसका निर्माण सर माइकल फिलोसे ने किया था. जिन्हें नाइटडुड की उपाधि दी गई थी.
(फाइल फोटो)
महल के 400 कमरों में से ये खास कमरा ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया का कक्ष है. आज भी ये कक्ष उनके नाम से संरक्षित किया गया है. इस कमरे में माधवराव ने अपनी पसंद का आर्किटेक्ट और एंटीक रखा था. इस संग्रहालय की एक और खास चीज है, वो है चांदी की रेल जिसकी पटरियां डाइनिंग टेबल पर लगी हैं. अति विशिष्ट दावतों में यह रेल पेय परोसती चलती है. इस हॉल में इटली, फ्रांस, चीन और अन्य कई देशों की दुर्लभ कलाकृतियां मौजूद हैं.
(फाइल फोटो)