बिकिनी किलर और द सर्पेंट के नाम से मशहूर चार्ल्स शोभराज एक बार फिर सुर्खियों में हैं. चार्ल्स पर नेटफ्लिक्स पर एक डॉक्यूमेंट्री तो लॉन्च हो ही चुकी है, इसके अलावा वह नेपाल की जेल में बैठे-बैठे मीडिया को इंटरव्यू दे चुका है जिससे नेपाली प्रशासन सकते में है. अपने चार्म और अंदाज के चलते चार्ल्स अपराध की दुनिया में किवंदिती बन चुका है.
चार्ल्स शोभराज का जन्म वियतनाम के साइगॉन में 6 अप्रैल 1944 को हुआ था. उस वक्त साइगॉन पर जापान का कब्जा था. चार्ल्स के पिता ने उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया था. चार्ल्स के दिमाग पर इसका नकारात्मक असर पड़ा और उनका बचपन तकलीफों से भरा था.
शोभराज की मां विएतनाम से थी और पिता एक सिंधी हिंदुस्तानी. चार्ल्स के मां-बाप ने शादी नहीं की थी. चार्ल्स की मां विएतनाम में तैनात फ्रांस के एक फौजी लेफ्टिनेंट से मिली. फौजी ने उन दोनों को अपनाया और इस तरह चार्ल्स को फ्रांस की नागरिकता मिली.
साल 1963 में शोभराज सबसे पहले जेल गया था. फ्रांस का पोईसी जेल पेरिस शहर से दूर एक एकांत जगह पर था. खूंखार कैदियों के बीच चार्ल्स अपना बचाव कराटे की तकनीक के सहारे करता था. शोभराज इस जेल में चुपचाप रहता था और इशारों में चीजें मांगा करता था.
शोभराज कई भाषाओं में पारंगत था, भेष बदलने में महारथी था और अपनी चार्मिंग पर्सनैलिटी के चलते कई महिलाओं के साथ दोस्ती कर चुका था. वो इन महिलाओं से दोस्ती करने के बाद उन्हें ड्रग्स देकर मार दिया करता था. माना जाता है कि उसने अपना सबसे पहला शिकार एक अमेरिकन महिला टेरेसा नोलटन को बनाया था.
चार्ल्स हालांकि जेल से निकलने के बाद भी अपराध के धंधे में एक्टिव रहा. उसने कई घोटालों के सहारे काफी पैसा इकट्ठा कर लिया था और वो यूरोप छोड़कर इस्तांबुल फिर भारत आ गया था. चार्ल्स सेंटाल नाम की महिला से शादी भी कर चुका था और सेंटाल ने भारत में चार्ल्स के बच्चे को जन्म दिया.
1970 के दौरान उसने चोरी की गई कारों की दलाली करनी शुरू कर दी. वो रईस भारतीयों (जो विदेशी कारों के रखने के शौकीन थे) को ये कारें बेचता था. वो पाकिस्तान तथा ईरान से कारों की चोरी करता और भारत में बॉर्डर के रास्ते लाता था. वो भारत में एक 'फ्रेंच सोसाइटी' से जुड़ गया और रसूखदार लोगों से मेलजोल बढ़ाने लगा.
हालांकि जुए में सब कुछ गंवाने के बाद चार्ल्स ने दिल्ली के अशोका होटल की छत पर चढ़कर लूट लिया था. वो दिल्ली से मुंबई एयरपोर्ट जा रहा था लेकिन कस्टम विभाग को उस पर शक हो गया और उसका लूट का बैग जब्त कर लिया गया. चार्ल्स वहां से भाग निकला लेकिन जल्द ही उसे पकड़ कर तिहाड़ जेल में डाला गया.
चार्ल्स के पिता ने इसके बाद उसकी जमानत कराई. इसके बाद वो भारत से भागकर अफगानिस्तान आ गया और वहां हिप्पियों के बीच उसने खूब नशे का कारोबार किया. हालांकि काबुल में आरामदायक जिंदगी के बावजूद वो वहां से भी भाग निकला और यूरोप चला गया.
1972-1976 के बीच उसने 24 लोगों की हत्या की थी. वर्ष 2003 में नेपाल जाने के बाद उसे 1975 में हुए दो हिप्पियों की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा दी गई. साल 1997 में चार्ल्स भारत की जेल से बाहर आया तो फ्रांस के एक अभिनेता- प्रोड्यूसर ने उसके जीवन पर आधारित फिल्म और किताब के अधिकार के लिए कथित तौर पर करीब 97 करोड़ रुपये दिए थे.
नेपाल में सजा काटने के दौरान 2008 में चार्ल्स ने बहुत ही कम उम्र की एक नेपाली लड़की निहिता बिस्वास के साथ जेल में ही शादी कर ली थी. चार्ल्स पर एक हिंदी फिल्म भी बन चुकी हैं जिसमें रणदीप हुड्डा ने चार्ल्स का किरदार निभाया था.
फिलहाल नेपाल की एक जेल में बंद चार्ल्स शोभराज पर भारत, थाईलैंड, नेपाल, तुर्की और ईरान में हत्या के 20 से ज्यादा आरोप लगे हैं. उन्हें सीरियल किलर कहा जाने लगा लेकिन अगस्त 2004 के पहले उन्हें ऐसे किसी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया था. हाल ही में जेल से मीडिया को इंटरव्यू देने के चलते नेपाल का गृह मंत्रालय भी हरकत में आ गया है.