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शिवलिंग पर अनोखा गोमुख, भगवान शिव पर ग‍िरती है जलधारा

Pali Kumbhalgarh Parashuram mahadev temple
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भगवान परशुराम महादेव का मंदिर वैसे तो राजसमंद जिले में है पर वहां तक जाने का सुगम रास्ता पाली की अरावली पहाड़ी से होकर जाता है. ऐसा माना जाता है कि कुंभलगढ़ पहाड़ियों की गुफा में स्थित परशुराम महादेव गुफा मंदिर का निर्माण खुद परशुरामजी ने अपने फरसे से किया था. उन्होंने चट्टान को अपने फरसे से काटा था. परशुरामजी महान तपस्वी और भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं. वे सप्त चिरंजीवियों में से एक हैं. 

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गुफा के अंदर एक शिवलिंग है. यह एक स्वयंभू शिवलिंग है यानी यह स्वयं यहां उत्पन्न हुआ था. इस शिवलिंग का अभिषेक पहाड़ से निकलने वाली धारा अपने आप करती है. 

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कई वर्षों तक यहां भगवान परशुरामजी ने तपस्या की थी. पहाड़ी पर बसे इस गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ी पर करीब 2 से 2.5 km की चढ़ाई करनी पड़ती है, फिर करीब 500 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है. फिर हम गुफा में प्रवेश कर वहा परशुरामजी महादेवजी के शिवलिंग के दर्शन करते हैं. 
 

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गुफा करीब 10 बाई 10 फीट है. समुद्र तल से इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 3600 फीट है. यहां की गई तपस्या से ही उन्होंने भगवान शिव से धनुष और अक्षय तरकश प्राप्त किया था. उस तरकश के बाण कभी खत्म नहीं होते थे और धनुष हमेशा अचूक निशाना लगाता था. यहीं से उन्हें अपना प्रसिद्ध फरसा भी प्राप्त हुआ था.

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यह पूरी गुफा एक चट्टान पर बनी है. शिवलिंग पर गोमुख बना हुआ है जिससे भगवान शिव पर जलधारा गिरती है.

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गुफा में शिला पर एक राक्षस की आकृति भी बनी हुई है. कहते हैं कि इस राक्षस का अंत परशुरामजी ने अपने फरसे से किया था. स्थानीय लोग इसे अमरनाथ धाम कहते हैं क्योंकि जिस प्रकार कश्मीर स्थित अमरनाथ धाम में भगवान शिव साक्षात वास करते हैं उसी प्रकार यहां भी शिव का अखंड निवास है.

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यह मंदिर अरावली पहाड़ियों के ऊपर से एक शानदार दृश्य हरी-भरी पहाड़ियां और जंगल, नदी नाले जो मानसून में बहते हैं, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों काफी अट्रेक्ट करता है. इस मंदिर गुफा तक पहुंचने के लिए एक छोटा ट्रेकिंग अनुभव ले सकते हैं. परशुराम मंदिर, कुंभलगढ़ वन में सबसे अच्छा स्थान माना जाता है.

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यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं है बल्कि दूर-दूर से आने वाले पर्यटक भी यहां के सुंदर वातावरण की वजह से आकर्षित होते हैं. मंदिर के दर्शन के समय यहां स्थित भगवान गणेश का पवित्र मंदिर और नौ कुंड भी देख सकते हैं. इन कुंडों की सबसे खास बात यह है कि यह कभी नहीं सूखते. यहां आने का सबसे अच्छा महीना श्रावण मास है.

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