बॉलीवुड के चर्चित अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए हैं. वे इंडस्ट्री के उन चुनिंदा एक्टर्स में से हैं जिन्होंने अल्ट्रा लेफ्ट से अब राइट विंग (दक्षिणपंथी) तक का सफर तय किया है. मिथुन चक्रवर्ती एक दौर में नक्सल विचारधारा के साथ थे. हालांकि उनके परिवार में हुए एक हादसे ने उनकी जिंदगी को बदल कर रख दिया था. (फोटो क्रेडिट: Getty Images)
16 जुलाई 1950 को मिथुन का जन्म एक निम्न-मध्यमवर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था. 1960 के दशक में बंगाल में अल्ट्रा लेफ्ट विचारधारा का प्रभाव था और मिथुन भी उस चरमपंथी विचारधारा के साथ बह गए थे. इसी विचारधारा के चलते नक्सली आंदोलन की स्थापना हुई थी. मिथुन की तरह ही हजारों अन्य बंगाली युवा भी इस मूवमेंट में शामिल थे. (फोटो क्रेडिट: Getty Images)
हालांकि एक हादसे में उनके भाई की मौत ने उन्हें हिलाकर रख दिया था और वे हिंसा और हथियारों के दम पर एक आदर्श समाज की स्थापना की विचाराधारा पर सवाल उठाने लगे थे. यही वो समय था जब मिथुन अपने आपको आंदोलन से अलग करने के बारे में सोचने लगे थे. उस समय बंगाल में नक्सलियों पर पुलिस की सख्ती के कारण मिथुन को छिपना भी पड़ा था और वे काफी समय तक भगोड़ा भी बने रहे थे. (फोटो क्रेडिट: Getty Images)
पत्रकार अली पीटर जॉन के साथ बातचीत में मिथुन ने कहा था कि मुंबई पहुंचने से पहले ही उनका नाम इस शहर में पहुंच चुका था. उन्होंने कहा- मुंबई में इंडस्ट्री और इंडस्ट्री के बाहर के लोगों को भी पता था कि मैं कलकत्ता में नक्सली आंदोलन से जुड़ा रहा हूं. उन्हें ये भी पता था कि मेरे चारू मजूमदार से करीबी रिश्ते रहे हैं, जो नक्सलियों के आक्रामक लीडर माने जाते थे. (फोटो क्रेडिट: Getty Images)
मिथुन ने कहा- मैंने इस आंदोलन को छोड़ने का फैसला किया था जब मेरे घर में त्रासदी हो गई थी लेकिन मैं जहां भी गया, मुझ पर नक्सली होने का ठप्पा हमेशा लगा रहा चाहे फिर मैंने पुणे में एफटीआईआई की पढ़ाई की हो या फिर 70 के दशक में मुंबई में अपना करियर बनाने की ठानी हो. मिथुन के बैकग्राउंड को देखते हुए उन्हें लेखक और फिल्म निर्माता ख्वाजा अहमद अब्बास ने साल 1980 में The Naxalites में मुख्य रोल भी ऑफर किया था जिसे मिथुन ने पूरी शिद्दत से निभाया था. (फोटो क्रेडिट: Getty Images)
बीजेपी के कई समर्थकों के लिए भी मिथुन चक्रवर्ती एक दौर में अर्बन नक्सल थे. अर्बन नक्सल शब्द का इस्तेमाल वर्तमान में वामपंथियों के एक वर्ग के लिए किया जाता है. बीजेपी और संघ परिवार के समर्थक इस बात पर जोर देते हैं कि राष्ट्र की संप्रभुता पर शहरी नक्सलियों का खतरा कल्पना नहीं बल्कि वास्तविक है. हालांकि अब मिथुन बीजेपी का दामन थाम चुके हैं. (फोटो क्रेडिट: Getty Images)