एक तरफ जब भारत सहित पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के गिलगित-बाल्टिस्तान में आम चुनाव कराने की अनुमति देने पर भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इस फैसले का कड़ा विरोध किया है.
पाकिस्तान के इस फैसले को लेकर केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को कई बार बताया जा चुका है कि गिलगित-बाल्टिस्तान के क्षेत्र समेत पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है. इस्लामाबाद को इन क्षेत्रों में अपने अवैध कब्जे को तुरंत छोड़कर इलाके को खाली कर देना चाहिए.
बता दें कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इस क्षेत्र में आम चुनाव कराने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान से जुड़े कानून में 2018 में पाकिस्तान सरकार द्वारा किए गए संशोधन को अनुमति दी थी.
इस फैसले के विरोध में विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "भारत ने पाकिस्तान के वरिष्ठ राजनयिक को बुलाकर इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया और तथाकथित 'गिलगित-बाल्टिस्तान' पर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गलत करार दिया.
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को इस पर जवाब देते हुए कहा कि "यह स्पष्ट रूप से अवगत कराया गया था कि गिलगित-बाल्टिस्तान समेत जम्मू- कश्मीर और लद्दाख के पूरे केंद्र शासित प्रदेश, पूरी तरह से कानूनी और अपरिवर्तनीय परिग्रहण के आधार पर भारत का अभिन्न अंग है."
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि पाकिस्तान की सरकार या उसकी न्यायपालिका के पास " जबरन और अवैध रूप से कब्जे वाले क्षेत्रों को लेकर कोई अधिकार नहीं है.
बयान में आगे कहा गया कि "भारत इस तरह की कार्रवाई को पूरी तरह से खारिज करता है. पाकिस्तान भारतीय भूभाग के जम्मू-कश्मीर में भौगोलिक परिवर्तन लाने की कोशिश कर रहा है जो हमें पूरी तरह अस्वीकार्य है. इसके बजाय, पाकिस्तान को अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली कर देना चाहिए.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान की हालिया कार्रवाई जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों के कुछ हिस्सों में "अवैध कब्जों" को न तो छिपा सकती हैं और न ही इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए "मानव अधिकारों के उल्लंघन, शोषण और स्वतंत्रता से इनकार" कर सकती हैं.