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भीख मांग रहा था इंजीनियर, पता चलने पर सरकार ने लिया ये फैसला

भीख मांग रहा था इंजीनियर, पता चलने पर सरकार ने लिया ये फैसला
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ओडिशा की पावन नगरी पुरी को भिखारी मुक्त करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने बड़ा अभियान शुरू किया है. इस अभियान के तहत एक इंजीनियर परिवार के भिखारी बन चुके शख्स गिरिजा शंकर मिश्रा को उसके घर पहुंचाया गया है. यह मामला तब सुर्खियों में आया जब 52 साल  के गिरिजा शंकर मिश्रा भिखारियों के साथ बैठकर पुरी में जगन्नाथ मंदिर के आगे भीख मांग कर अपना पेट भरते नजर आए. 
भीख मांग रहा था इंजीनियर, पता चलने पर सरकार ने लिया ये फैसला
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गिरिजा शंकर मिश्रा ने बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक प्रतिष्ठित संस्थान से प्लास्टिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया था. वो हैदराबाद की एक एमएनसी में बतौर इंजीनियर काम करते थे.
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यह मामला उस वक्त लोगों के सामने आया जब पार्किंग मुद्दे को लेकर एक रिक्शा चालक के साथ उनका विवाद हुआ और बदमाशों ने उनकी पिटाई कर दी. उन्हें इससे काफी चोटें भी आईं. इसके बाद गिरिजा शंकर मिश्रा ने पुरी शहर के पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, पुलिस अधिकारी गिरिजा द्वारा दर्ज करवाई गई शिकायत को  देखकर दंग रह गए. शिकायत बड़े करीने से लिखी गई थी जो उनके काफी पढ़े-लिखे होने का संकेत दे रहा था. इसके बाद जब पुलिसवालों ने उनकी सच्चाई जानी तो वो दंग रह गए.
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बता दें कि ओडिशा सरकार ने पुरी जैसे पर्यटन स्थल को भिखारियों से मुक्त करने के लिए ऐसे सभी लोगों को पुनर्वासित करने का फैसला किया है. ऐसे लोगों को निलाद्रि निलयों में शिफ्ट किया जाएगा और उन्हें वहां मुफ्त खाने के साथ ही, कपड़ा, बिस्तर, इलाज की सुविधा दी जाएगी.
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राज्य सरकार ने इस काम के लिए पांच एनजीओ का चुनाव किया है जो भिखारियों की पहचान करने में समाज कल्याण विभाग की मदद कर रहे हैं. इन एनजीओ को भिखारियों के अच्छे रहन-सहन की व्यवस्था के लिए सरकार प्रति व्यक्ति और प्रति महीने 3400 रुपये देगी.रिपोर्ट के मुताबिक 3 मार्च से शुरू हुए अभियान के तहत पहले पांच दिनों में पहचान कर 146 भिखारियों को उनके लिए खास तौर पर बने शेल्टर होम में पुनर्वासित किया गया है.
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