चीन और पाकिस्तान से सामरिक चुनौतियों को देखते हुए भारत सरकार लगातार अपने तीनों सेनाओं को मजबूत और आधुनिक बनाने में जुटी हुई है. भारतीय सेना के भविष्य की चुनौतियों और आवश्यकताओं को देखते हुए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ) ने मुख्य बैटल टैंक अुर्जन मार्क 1-ए (हंटर किलर) के एडवांस वर्जन का पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में ट्रायल किया जो पूरी तरफ सफल रहा.
अर्जुन टैंक के इस नए एडवांस अपग्रेड वर्जन में ना केवल कई हथियार एक साथ फायर किए जा सकेंगे बल्कि इसकी मारक क्षमता और तकनीक भी कई गुणा तीव्र है. इस एडवांस वर्जन के टैंक की फायरिंग केपेबिलिटी को देखने के लिए भारतीय सेना के डिप्टी चीफ ऑफ स्टॉफ लेफिटनेंट जनरल एस.एस.हसबनिस और डायरेक्टर जनरल (आर्म्ड) लेफिटनेंट जनरल एम.जे.एस. कहलो समेत कई उच्च सैन्य अधिकारी मौजूद थे.
अर्जुन टैंक के इस अपग्रेडेड वर्जन ने अपनी खूबियों को हर कसौटी पर सिद्ध करते हुए रेंज में सफलता पूर्वक कई मिसाइल और गोले दागे. बता दें कि बीते 13 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसलमेर के सीमावर्ती इलाके में लांगेवाला पोस्ट पर अर्जुन टैंक पर सवार होकर सेना में इस नए अपग्रेडेड वर्जन के शामिल होने का संकेत दिया था.
सैन्य सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय सेना में इन दिनों अर्जुन टैंक की 2 यूनिट है लेकिन इन अर्जुन टैंकों में सेना की आवश्यकता के अनुसार डी.आर.डी.ओ द्वारा कई अपग्रेडेशन किए जा रहे हैं. इस अपग्रेडेड टैंक से ना केवल सेमी एक्टिव लेजर गाइडेड मिसाइल दागे जा सकते हैं बल्कि ऑटो टारगेट सेट कर दुश्मन की होने वाली गतिवधि और समय रहते उनपर हमला भी किया जा सकता है.
सूत्रों ने बताया कि सेना के उच्च अधिकारी अर्जुन टैंक के नये स्वदेशी अपग्रेडेड वर्जन की फायरिंग देखकर काफी खुश हुए और इस पर संतोष जाहिर किया. अब भारतीय सेना को विदेशों से टैंकों के आयात पर कम निर्भर रहना होगा.
नए उन्नत अर्जुन टैंक में इसकी फायर पावर क्षमता को काफी बढ़ाया गया है. साथ ही इसमें एकदम नई तकनीक का ट्रांसमिशन सिस्टम लगाया गया है. यह हंटर किलर अपने लक्ष्य को स्वयं तलाश करने में सक्षम है. यह ऑटोमेटिक तरीके से तेजी से आगे बढ़ते हुए दुश्मन के लगातार हिलने वाले लक्ष्यों पर भी सटीक प्रहार कर सकता है.
इस टैंक में कमांडर, गनर, लोडर और चालक का पूरा क्रू अंदर रह सकता है. इन चारों को यह टैंक युद्ध के दौरान भी पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगा. टैंक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि रणक्षेत्र में बिछाई गई माइन्स को पहचानते हुए यह आसानी से आगे बढ़ सकता है. कंधे से छोड़े जाने वाले एंटी टैंक ग्रेनेड और मिसाइल का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. केमिकल अटैक से बचाने के लिए इसमें विशेष तरह का सेंसर लगाया गया है.
केमिकल या परमाणु बम के विस्फोट की स्थिति में इसमें लगा अलार्म बज उठेगा. इसके साथ ही टैंक के अंदर हवा का दबाव बढ़ जाएगा ताकि बाहर की हवा अंदर प्रवेश न कर सके क्रू मेंबर के ऑक्सीजन के लिए बेहतरीन फिल्टर लगाए गए है. इसके अलावा इसमें कई नए फीचर्स शामिल किए गए है, जो इस टैंक को न केवल बेहद मजबूत बनाते है बल्कि सटीक प्रहार करने में इसका कोई सानी नहीं है.