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पाकिस्तान से चीन तक फैला 'गधा इकोनॉमी' क्या है? देखिए इन 12 तस्वीरों में

Men riding donkeys
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पाकिस्तान से चीन के बीच एक बड़ा 'गधा इकोनॉमी' फैल रहा है. ये इकोनॉमी क्या है, कैसे पाकिस्तान इसे एक आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के अवसर के रूप में देख रहा है और चीन क्यों पाकिस्तान के गधों की ओर टकटकी लगाए देख रहा है. ये जानना जरूरी है. (फोटो - AFP)

donkeys are walking
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चीन पाकिस्तान के बीच सिर्फ हथियारों की सौदागरी नहीं होती है. चीन पाकिस्तान को हथियार देता है तो पाकिस्तान चीन की अवाम की भूख मिटाने के लिए उसे गधा सप्लाई करता है. गधों का व्यापार भारत में सुनकर भले ही अजीब लगता है. लेकिन यह सच्चाई है. (फोटो - AFP)

Donkeys under sun
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चीन में गधों की जनसंख्या में तेजी से कमी आने के कारण, चमड़े के व्यापार के एजेंट अफ्रीका और ब्राजील से गधों की सप्लाई चीन को कर रहे थे. अफ्रीका के सभी देशों में गधों की खाल के लिए उनके वध पर रोक लगा दी गई. वहीं ब्राज़ील में भी जहां, गधों की तस्करी की जाती है और उनकी खाल के लिए उन्हें मार दिया जाता है, सभी प्रकार के गधों पर के वध पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.  (फोटो - AFP)

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Men riding donkey carts
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ब्राजील और अफ्रीका में कानून प्रभावी रूप से गधों के इस अनैतिक व्यापार के दो सबसे बड़े 'बाजारों' से आपूर्ति को काट दिया है. इस कदम से चीन का एजियाओ (एक पारंपरिक दवा) उद्योग अब पाकिस्तान के गधों पर निर्भर है. यही वजह से है कि पाकिस्तान से गधों की आपूर्ति के लिए चीन नए समीकरण बना रहा है. (फोटो - AFP)

Donkeys and man near factory
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पाकिस्तान ने चीन को गधा और गधे का मांस दोनों ही निर्यात करता है. चीन को गधे का मांस भेजने के लिए पाकिस्तान ने ग्वादर में गधा फार्म बनाया है. बता दें कि चीन में लोग चाव से गधे का मांस खाते हैं. पाकिस्तान के स्तंभकार तहरीम अजीम ने कहा कि गधे का मांस चीन के हेबेई प्रांत में लोकप्रिय व्यंजन है. वहां पर बर्गर में इसका इस्तेमाल किया जाता है. (फोटो - रायटर्स)
 

donkey climbing on boat
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ग्वादर में चालू होने वाला पाकिस्तान का बूचड़खाना एक बड़ा बूचड़खाना होगा. जहां गधों को मारकर उनके मांस, हड्डियां और खाल निकाले जाएंगे फिर इनका निर्यात किया जाएगा. पाकिस्तान के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं अनुसंधान मंत्रालय (MNFSR) के अधिकारियों ने फरवरी में कहा था कि ग्वादर के बूचड़खाने में उत्पादन का काम चालू हो गया है. पाकिस्तान गधे के इन उत्पादों को चीन में बेचेगा. (फोटो - रायटर्स)
 

donkeys are eating
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पाकिस्तान में गधों की अनुमानित आबादी 5.9 मिलियन है, इसलिए वह चीन को एक प्रमुख बाजार के रूप में देखता है, जहां गधे के मांस का उपयोग भोजन में और पारंपरिक चीनी दवा एजियाओ के उत्पादन में किया जाता है. (फोटो - रायटर्स)
 

Man touching donkey
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पाकिस्तान के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं अनुसंधान मंत्रालय के अनुसार पाकिस्तान ने चीन के साथ समझौता 2,16,000 गधों की खाल और मांस की सालाना आपूर्ति के लिए की है. हालांकि चीनी कंपनियां कराची बंदरगाह में बूचड़खाने स्थापित करने में रुचि दिखा रही हैं. चीन इस प्रोडक्ट का इस्तेमाल दवा के लिए भी करेगा. इस समझौते का बाजार मूल्य लगभग 8 मिलियन डॉलर का है. (फोटो - रायटर्स)

donkey in traffic
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चीन में गधों की खाल से पारंपारिक चीनी दवा Ejiao (एजियाओ ) बनाया जाता है. इससे पारंपारिक चीनी दवाएं बनाई जाती है. एजियाओ दरअसल गधे की त्वचा से निकाला जाने वाला एक जिलेटिन है. इसका उपयोग खून बढ़ाने, इम्युनिटी में सुधार करने और यौवन कायम रखने में किया जाता है. ये दवा त्वचा भी सुंदर रखती है. (फोटो - रायटर्स)

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Men riding donkeys
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हाल के वर्षों में यह चीन में एक लग्जरी बन गया है. लोग इसे एंटी एजिंग की तरह इस्तेमाल करते हैं. इसकी बढ़ती लोकप्रियता की वजह चीन का एक टीवी सीरियल है 'एम्प्रेस इन द पैलेस.' 2011 में शुरू हुए इस टीवी सीरियल में एजियाओ का इस्तेमाल दिखाया गया है.  एजियाओ की मांग में बढ़ोतरी की एक वजह चीन का बढ़ता मध्यम वर्ग और बुजुर्ग आबादी भी है. चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार, पिछले दशक में इसकी कीमत 30 गुना बढ़ गई है, जो 100 युआन प्रति 500 ग्राम से बढ़कर 2,986 युआन (36,741 रुपये) हो गई है.(फोटो - रायटर्स)

donkeys carrying dung and man
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कराची भले ही पाकिस्तान का बड़ा औद्योगिक शहर हो. लेकिन इस शहर में आज भी गधे का इस्तेमाल सामान ढोने के लिए होता है. कुछ पाकिस्तानी चाहते हैं कि उनका मुल्क जिंदा ही गधों का निर्यात करे. इस सवाल पर पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि जीवित पशु का निर्यात करना चुनौतीपूर्ण है.(फोटो - रायटर्स)

Man feeding donkey
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"गधा इकोनॉमी" ने सामाजिक और सांस्कृतिक बहस को जन्म दिया है, पाकिस्तान के कई पशुप्रेमी और गैर सरकारी संगठन इस व्यवसाय को अनुचित मानते हैं और वे इसके खिलाफ अभियान चला रहे हैं. ग्वादर में बूचड़खाना बनने के बाद बलूचिस्तान के लोग इसका विरोध कर रहे हैं. ग्वादर बलूचिस्तान में ही मौजूद है. यहां के लोग चीनी प्रोजेक्ट्स से हमेशा से नाखुश रहे हैं. (फोटो - रायटर्स)
 

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