यूरोप ने नए नियम बनाए तो भारतीय कंपनियों को नए करार करने होंगे. इससे खर्च बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के नियम-कानूनों से जूझना होगा.
ब्रिटेन से मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) हो सकता है. इससे भारत का निर्यात बढ़ने का अनुमान है. ईयू से इस मामले में सहमति नहीं बनी थी. ब्रिटेन सेंट्रल मार्केट है. पुर्तगाल, ग्रीस जैसे कई देश वहां से सामान ले जाते हैं. ब्रिटेन के साथ एफटीए होने से भारत को विशाल बाजार मिलेगा.
हालांकि, ब्रिटेन 2020 के आखिर तक ईयू की आर्थिक व्यवस्था में बना रहेगा,
लेकिन उसका नीतिगत मामलों में कोई दखल नहीं होगा. वह ईयू का सदस्य भी नहीं
रहेगा.
(Photo: Reuters)