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अयोध्या: 1992 में कारसेवा में हुआ था दिव्यांग, भूमिपूजन में जाने की चाहत

अयोध्या: 1992 में कारसेवा में हुआ था दिव्यांग, भूमिपूजन में जाने की चाहत
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अयोध्या में राम मंदिर के लिए होने जा रहे भूमिपूजन से पहले एक बार फिर उन लोगों की चर्चा हो रही है जो राम मंदिर आंदोलन से जुड़े थे. लेकिन कई चेहरे ऐसे थे जो गुमनामी के अंधेरे में खो गए. ऐसे ही एक कारसेवक जो बीते 28 सालों से चलने-फिरने से लाचार होकर जिंदगी बिता रहा है और अब मंदिर के लिए होने जा रहे भूमिपूजन ने जैसे सालों पुराने सपने को पूरा कर दिया है.
अयोध्या: 1992 में कारसेवा में हुआ था दिव्यांग, भूमिपूजन में जाने की चाहत
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 20 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव में रहने वाले अचल सिंह मीणा की खुशी इन दिनों छिपाए नहीं छिपती. अचल ने अपने जिंदगी के 28 साल दिव्यांग होकर बिताए हैं. दरअसल, 1992 में कारसेवा के दौरान अचल सिंह मीणा गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उनके शरीर का निचला हिस्सा बेकार हो गया. कारसेवा के लिए अचल अपने दोनों पैरों पर चलकर अयोध्या गए थे लेकिन जब वापस आए तो दूसरों के सहारे चलकर और अब जिंदगी भर के लिए बिस्तर पकड़ कर गुमनाम जिंदगी बिताने को मजबूर हैं.
अयोध्या: 1992 में कारसेवा में हुआ था दिव्यांग, भूमिपूजन में जाने की चाहत
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अयोध्या में भव्य राम मंदिर की चाह रखने वाला ये कारसेवक भोपाल के नजदीक एक गांव में 10 बाई 10 के एक छोटे से अंधेरे कमरे में रहने को मजबूर है. बिना सहारे के अचल उठ भी नहीं सकता इसलिए बीते 28 सालों से उसने बाहर की दुनिया से ज्यादा वास्ता भी नहीं रखा. 1992 में अचल 30 साल के थे और भोपाल से पुष्पक एक्सप्रेस में बैठकर लखनऊ और फिर वहां से फैजाबाद पहुंचे थे. 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस के दौरान गुंबद के एक हिस्से का मलबा अचल की पीठ पर गिरा और कमर के नीचे के पूरे हिस्से ने काम करना बंद कर दिया. अब अचल 58 साल के हैं. अचल बताते हैं कि 1992 के बाद से कई नेता भोपाल आए लेकिन किसी ने भी उसकी खैर खबर नहीं ली.
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खराब हो चुके हैं पैर: 

हालांकि अब 5 अगस्त को जब राम मंदिर के लिए भूमिपूजन होने जा रहा है तो अचल सिंह बेहद खुश हैं और बोल रहे हैं ये जीवन राम की वजह से मिला है. अगर अयोध्या में उसकी जान भी चली जाती तो उसे परवाह नहीं थी. अचल सिंह मीणा का कहना है कि वो पुलिस की गोली से भी मर सकता या फिर किसी और हादसे में लेकिन भगवान राम ने उसके लिए यही जीवन चुना था. अचल अब चल फिर नहीं सकते इसलिए उनका कहना है कि 5 अगस्त को वो अयोध्या तो जाना चाहते हैं लेकिन  शरीर साथ नहीं देता इसलिए भूमिपूजन वाले दिन घर पर बैठ कर सुंदरकांड का पाठ होगा.


अयोध्या: 1992 में कारसेवा में हुआ था दिव्यांग, भूमिपूजन में जाने की चाहत
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'मोदी को भगवान ने भेजा है': 

अचल सिंह मीणा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है. उन्होंने बताया कि अबतक लगता था कि उसके जीते जी मन्दिर निर्माण शुरू नहीं होगा लेकिन जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मन्दिर निर्माण को लेकर तेज़ी से फैसले हुए उसके बाद वो पीएम मोदी का मुरीद हो गया है. अचल सिंह मीणा ने कहा कि 'मोदी को साक्षात राम ने भेजा है उनका काम करवाने क्योंकि नेता तो कई आए लेकिन उनके कार्यकाल में ही क्यों मंदिर निर्माण शुरू होने जा रहा है. इसका मतलब साफ है कि भगवान खुद चाहते थे कि मोदी वहां मौजूद रहें जब भूमिपूजन होगा'.
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