अमेरिका में एक जीव रिसर्चर्स के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है. बाल्टीमोर शहर के मैरीलैंड साइंस म्यूजियम में एक नीले रंग का केकड़ा सुर्खियों में है. नीले और लाल रंग के पंजों वाला ये केकड़ा आधा नर और आधा मादा है. (फोटो क्रेडिट: Delmarva Discovery Museum)
दरअसल, इस केकड़े की एक बेहद दुर्लभ कंडीशन है जिसे द्विपक्षीय ग्येनड्रोमॉर्फी कहा जाता है. ये एक ऐसी कंडीशन है जिसमें किसी जीव में नर और मादा दोनों की ही विशेषताएं होती हैं. साढ़े चार इंच लंबे इस केकड़े को मैरीलेंड के एक वॉटरमैन ने ढूंढा था. (फोटो क्रेडिट: Delmarva Discovery Museum)
चेसपीक बे मैगजीन के अनुसार, वॉटरमैन जेरी स्मिथ ने इस केकड़े को पकड़ा था. पिछले चार दशकों से क्रैबर रहे स्मिथ ने इस केकड़े को डेलमारवा डिस्कवरी म्यूजियम में डोनेट कर दिया था. इससे पहले साल 1979 में भी स्मिथ एक ऐसे ही केकड़े को पकड़ने में कामयाबी हासिल कर चुके हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
ये केकड़ा अब वहां 70 गैलन के टैंक में रखा गया है. गौरतलब है कि आमतौर पर नर केकड़े के नीले पंजे वही मादा केकड़ों के लाल पंजे होते हैं लेकिन इस केकड़े के नीले और लाल दोनों पंजे है. इसके चलते ही रिसर्चर्स काफी हैरान हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
पिछले 15 सालों में ग्येनड्रोमॉर्फी की कंडीशन वाले केकड़े को ईस्टर्न सीबोर्ड में नहीं देखा गया है. डेली मेल के साथ बातचीत में डेलमार्वा डिस्कवरी म्यूजियम के पशुपालन विशेषज्ञ ने बताया कि द्विपक्षीय गाइनेंड्रोमॉर्फी जैसी परिस्थिति किसी भी जीव के पैदा होने के एकदम शुरुआती दौर में सामने आती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
उन्होंने आगे कहा कि पैदा होने के शुरुआती दौर मसलन जब किसी जीव में 8 से 64 कोशिकाएं होती हैं, तब ये कंडीशन विकसित होनी शुरु होती है. ये कंडीशन कोशिकाओं में असमानता के चलते होती है और माना जाता है कि किसी केकड़े के अंडे के निर्माण के दौरान ये सामने आती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्जीनिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैरिन साइंस के समुद्री जीवविज्ञानी नीले केकड़ों में प्रजनन और यौन विकास को बेहतर ढंग से समझने के लिए दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति पर शोध कर रहे हैं.
(प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
गौरतलब है कि ये जीव कभी इस क्षेत्र की इकोनॉमी में योगदान देते थे लेकिन अत्यधिक मछली पकड़ने और प्रदूषण के कारण उनकी संख्या में गिरावट आई है. बता दें कि स्तनधारियों में गाइनेंड्रोमोर्फिज्म नहीं होता है, लेकिन झींगा मछलियों, केकड़ों, सांपों, तितलियों, मधुमक्खियों, मुर्गियों और अन्य पक्षियों में पाया गया है. (फोटो क्रेडिट: Delmarva Discovery Museum)