स्पेन का ऐतिहासिक शहर सैंटियागो डे कॉम्पोस्टेला, जो कैथोलिक तीर्थयात्रियों के लिए एक पवित्र स्थान है, अब टूरिस्टों की भीड़ से परेशान हैं. जहां एक समय यह शहर अपनी शांति और आध्यात्मिक माहौल के लिए जाना जाता था, वहीं अब यह पर्यटकों की अनियंत्रित भीड़ से जूझ रहा है. आलम यह है कि शहर की पहचान तो खतरे में है ही, साथ ही वहां के स्थायी निवासियों को भी कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें घर की समस्या सबसे बड़ी है.
सैंटियागो का पुराना शहर और सेंट जेम्स चर्च का इलाका, जो सदियों से स्थानीय जीवन का केंद्र रहा, अब लगभग पूरी तरह बाहरी लोगों से भर चुका है. एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, वहां के निवासियों का कहना है कि उन्हें अपने ही मोहल्लों से बेदखल होना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि पर्यटन से कभी आपत्ति नहीं रही. लेकिन जब यह नियंत्रण से बाहर हो जाता है तो विरोध स्वाभाविक है'. दरअसल, तीर्थ यात्रा मार्ग की लोकप्रियता 2010 में आई हॉलीवुड फिल्म 'द वे' और हाल के वर्षों में सोशल मीडिया व कोरोना महामारी के बाद एक्सपीरियंस-आधारित यात्रा की वजह से और बढ़ गई. इतना ही नहीं यहां पिछले साल रिकॉर्ड 5 लाख लोगों ने रजिसट्रेशन कराया था, जबकि यह संख्या शहर की आबादी से पांच गुना अधिक है.
बढ़ते पर्यटन का सबसे बड़ा असर स्थानीय लोगों की जेब पर पड़ा है. यूनिवर्सिटी ऑफ ए कोरुना फाउंडेशन की एक स्टडी के मुताबिक, 2018 से 2023 तक शहर में वार्षिक किरायों में 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. अल्पकालिक किराये, खासकर एयरबीएनबी जैसे आवासों ने स्थिति और बिगाड़ दी. इसी वजह से नगर परिषद ने ऐतिहासिक केंद्र में नए पर्यटक आवासों पर प्रतिबंध लगा दिया. जबकि वहां के अधिकारियों का मानना है कि लगातार बढ़ते पर्यटन ने स्थानीय निवासियों के लिए घर ढूंढना मुश्किल कर दिया है.
यही वजह है कि अब सैंटियागो में किराये पर घर खोजना लगभग असंभव मिशन बन चुका है.कम सैलरी वाले लोगों के लिए शहर में रहना मुश्किल होता जा रहा है. इस शहर में Overtourism ने स्थानीय जीवन को संकट में डाल दिया है. शहर भले ही वैश्विक मानचित्र पर और चमक रहा हो, लेकिन यहां की असली पहचान और इसके निवासी धीरे-धीरे भीड़ में गुम होते जा रहे हैं.