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2025 का सबसे बड़ा ट्रैवल ट्रेंड, मिलेनियल्स और Gen Z को क्या पसंद है?

भारत में यात्रा का चेहरा तेजी से बदल रहा है. अब युवा सिर्फ़ घूमने-फिरने या मौज-मस्ती करने नहीं निकलते, बल्कि संस्कृति, परंपरा और असली एक्सपीरियंस से जुड़ने को प्राथमिकता दे रहे हैं.

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युवा यात्रियों का बदला सफ़र का अंदाज़ (Photo: Pexels)
युवा यात्रियों का बदला सफ़र का अंदाज़ (Photo: Pexels)

यात्रा का नया दौर लगातार परिदृश्य बदल रहा है. अब यह सिर्फ़ दर्शनीय स्थलों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आराम, स्वास्थ्य, विलास और गहरे एक्सपीरियंस का संगम बन चुका है. यात्रियों के लिए अब सबसे बड़ी प्राथमिकता है किसी जगह की असली आत्मा को समझना, चाहे वह वहां की संस्कृति हो, परंपराएं हों या फिर स्थानीय जीवनशैली. 

भारत में भी यह बदलाव साफ नज़र आ रहा है कि अब यात्रियों का मकसद केवल घूमना-फिरना या मौज-मस्ती करना नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा से जुड़ना है. स्काईस्कैनर की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 82 प्रतिशत भारतीय यात्री ऐसे गंतव्यों की तलाश में हैं जो स्थानीय विरासत और प्रामाणिक अनुभवों से भरपूर हों. यही वजह है कि 2025 को सांस्कृतिक पर्यटन का साल कहा जा रहा है.

त्योहारों में डूबे यात्री

यात्रा अब सिर्फ़ सैर-सपाटे तक सीमित नहीं रही, बल्कि त्योहारों से जुड़ने का ज़रिया भी बन चुकी है. आज के यात्री अपनी योजनाएं सांस्कृतिक आयोजनों के हिसाब से बना रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 76 प्रतिशत भारतीय यात्रियों ने किसी न किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अपनी यात्रा योजना बदली है. इनमें कोलकाता की दुर्गा पूजा, बरसाना की लट्ठमार होली और केरल का ओणम सबसे ज़्यादा लोकप्रिय हैं. खास बात यह है कि नई पीढ़ी इन आयोजनों को सिर्फ़ देखने नहीं जाती, बल्कि नाचने, दावत का आनंद लेने और जश्न का हिस्सा बनने के लिए सक्रिय रूप से जुड़ती है.

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विरासत वाले शहरों की नई चमक

वहीं सर्वे में सामने आया कि लगभग 55 प्रतिशत भारतीय यात्री किसी न किसी सांस्कृतिक आयोजन में हिस्सा लिए हैं. खासकर काशी यानी वाराणसी में 2025 तक खोजों में 76 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसके अलावा  जयपुर, आगरा और हम्पी जैसे ऐतिहासिक शहर भी यात्रियों की पसंद में तेजी से शामिल हो रहे हैं.

ऑफबीट डेस्टिनेशन का क्रेज

युवा पीढ़ी अब कम चर्चित जगहों की ओर भी रुख कर रही है. यही वजह है कि 93 प्रतिशत यात्री ऑफबीट स्थलों की तलाश में हैं. चाहे असम का चाय महोत्सव हो, अरुणाचल के आदिवासी समारोह या केरल की स्थानीय विरासत ये जगहें भी अब लोकप्रिय हो रही हैं. क्योंकि यहां भीड़ कम और एक्सपीरियंस ज्यादा मिलते हैं.

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यात्रा का नया चेहरा

यह ट्रेंड सबसे ज़्यादा मिलेनियल्स के बीच 84 प्रतिशत और जेन जेड के बीच  80 प्रतिशत लोकप्रिय है. दिलचस्प बात यह है कि अब लोग अकेले घूमने की बजाय अपने परिवार के साथ सफ़र करना ज़्यादा पसंद कर रहे हैं. सर्वे के मुताबिक, 71 प्रतिशत यात्री परिवार के साथ, 62 प्रतिशत दोस्त और 56 प्रतिशत लोग अपने पार्टनर के साथ यात्रा करना पसंद कर रहे हैं. साथ ही, 39 प्रतिशत लोगों का मानना है कि सफ़र तभी सार्थक है जब वे उस जगह या वहां के लोगों से कुछ नया सीखकर लौटें.

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