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सैर सपाटा

जहां श्री राम ने किया था श्राद्ध, क्यों है यह स्थान पितृपक्ष में इतना खास?

Bharatkund ayodhya pinddaan
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अयोध्या, जिसे भगवान राम की जन्मभूमि कहा जाता है, हिंदू धर्म का सबसे पवित्र तीर्थ है. यहां सरयू नदी के किनारे स्थित भरतकुंड पितृपक्ष में श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र बन जाता है. मान्यता है कि यहां श्राद्ध करने से वही पुण्य मिलता है, जो गया तीर्थ में पिंडदान करने से मिलता है.

Photo: AFP

Religious significance Ayodhya
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अयोध्या: भगवान राम की पावन नगरी

अयोध्या का अर्थ है 'अजेय'. यह शहर सरयू नदी के किनारे बसा है और हनुमानगढ़ी, नागेश्वरनाथ, देवकाली, कनक भवन जैसे मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. इतना ही नहीं रामनवमी के अवसर पर यह नगरी दीपों और फूलों से सज जाती है और दुनिया भर से भक्त यहां पहुंचते हैं.

Photo: IGT
 

Bharatkund ayodhya pinddaan
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भरतकुंड को मिनी गया की उपाधि

पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु का दाहिना चरणचिह्न भरतकुंड स्थित गया वेदी पर है और बायां चरण गया जी में. इसलिए भरतकुंड में पिंडदान करना गया तीर्थ जितना ही फलदायी माना जाता है. इतना ही नहीं ऐसा भी माना जाता है कि यहीं पर भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध किया था. यही वजह है कि पितृपक्ष में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

Photo: facebook.com/ @MadhurieSingh

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Ayodhya pilgrimage
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भरत की तपोभूमि

रामायण के अनुसार, जब भगवान राम वनवास पर गए तो उनके छोटे भाई भरत ने 14 वर्षों तक भरतकुंड में खड़ाऊं रखकर तप किया. कहा जाता है कि भरत ने 27 तीर्थों का जल लाकर इस कुंड में समर्पित किया था. यही कारण है कि भरतकुंड आज भी आस्था और तपस्या का प्रतीक माना जाता है.

Photo: facebook.com/ @MadhurieSingh
 

Nandigram Ayodhya
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नंदीग्राम का महत्व

अयोध्या से लगभग 15 किलोमीटर दूर नंदीग्राम भी पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि राम के वनवास के दौरान भरत ने यहां रहकर राजकाज संभाला. इसलिए नंदीग्राम को ‘भरत की तपस्थली’ कहा जाता है. यही वजह है कि ये स्थान श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है.

Photo: facebook.com/ @ayodhyacorner
 

Ram ghat ayodhya
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श्रद्धालुओं की आस्था का संगम

पितृपक्ष के दिनों में अयोध्या के घाटों और विशेषकर भरतकुंड पर श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं. यह आस्था केवल धार्मिक नहीं, बल्कि परिवार और परंपरा को जोड़ने का एक माध्यम भी है.

Photo:incredibleindia.gov.in
 

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