विश्वनाथन आनंद (Viswanathan Anand) भारत के महानतम शतरंज खिलाड़ियों में से एक हैं. वे न केवल भारत में शतरंज को लोकप्रिय बनाने में अग्रणी रहे हैं, बल्कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस खेल में भारत का नाम रौशन किया है. विश्वनाथन आनंद का जन्म 11 दिसंबर 1969 को तमिलनाडु के मायिलाडुतुरै (उस समय का मद्रास) में हुआ था.
उनके पिता विश्वनाथन दक्षिण रेलवे में कार्यरत थे और उनकी मां शुसिला आनंद ने उन्हें शतरंज सिखाया. आनंद ने बहुत ही कम उम्र में शतरंज खेलना शुरू कर दिया था और जल्द ही उनकी प्रतिभा सबकी नजर में आने लगी.
आनंद ने 1983 में 14 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय उप-किशोर (Sub-Junior) शतरंज चैम्पियनशिप जीतकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. 1987 में वे विश्व जूनियर शतरंज चैंपियन बने और 1988 में वे भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने. यह एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि उन्होंने भारत को विश्व शतरंज मानचित्र पर स्थापित किया.
2000 में उन्होंने FIDE विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती. 2007 में वे विश्व चैंपियन बने और 2013 तक इस खिताब को कायम रखा. वे पांच बार (2000, 2007, 2008, 2010, 2012) विश्व शतरंज चैंपियन रहे हैं. आनंद तेज शतरंज (Rapid Chess) के भी विशेषज्ञ माने जाते हैं और कई बार विश्व रैपिड चैंपियनशिप जीत चुके हैं.
विश्वनाथन आनंद को भारत सरकार द्वारा कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें अर्जुन पुरस्कार (1985), राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (1991–92), यह पुरस्कार पाने वाले वे पहले शतरंज खिलाड़ी हैं. उन्हें पद्मश्री (1987), पद्मभूषण (2000) और पद्मविभूषण (2007) से भी सम्मानित किया गया है.
FIDE वर्ल्ड चेस कप ट्रॉफी को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है. गोवा में हुए रंगारंग समारोह में FIDE वर्ल्ड चेस कप 2025 का नाम भारत के चेस दिग्गज विश्वनाथन आनंद के नाम पर कर दिया गया है.
14 वर्षीय अखिल आनंद गणित, पौराणिक कथाओं और प्रकृति को मिलाकर कला की नई परिभाषा रचते हैं. उनकी प्रदर्शनी ‘मॉर्फोजेनेसिस’ इन तत्वों का संगम है. उन्होंने पारंपरिक कारीगरों से सीखा, अपनी शैली ‘अखिलिज़्म’ बनाई और सामाजिक समावेशन को कला से जोड़ा. उनके पिता विश्वनाथन आनंद से उन्हें प्रेरणा और भावनात्मक सहयोग दोनों मिलता है.