यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) अमेरिकी सरकार की एक स्वतंत्र एजेंसी है, जो अंतरराष्ट्रीय विकास और मानवीय सहायता के लिए कार्य करती है. इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में गरीबी को कम करना, लोकतंत्र को बढ़ावा देना और सतत विकास को समर्थन देना है.
USAID को विदेशों में प्रभाव के राजनीतिक संचालन और संभावित हितों के टकराव में अपनी भूमिका को लेकर जांच का सामना करना पड़ा है. जनवरी 2025 में, ट्रम्प प्रशासन ने विदेशी सहायता पर लगभग पूर्ण रोक लगाने का आदेश दिया, जिसमें फिजूलखर्ची और धोखाधड़ी के झूठे और भ्रामक आरोप लगाए गए और कर्मचारियों की संख्या को लगभग 10,000 से घटाकर 290 करने की योजना बनाई गई. एलन मस्क सरकारी दक्षता विभाग के माध्यम से एक विशेष सरकारी कर्मचारी के रूप में ट्रम्प के लागत-कटौती एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं. मस्क ने यूएसएआईडी को बंद करने के इरादे की घोषणा की. ट्रम्प के आदेश की वैधता को चुनौती दी गई और एक संघीय अदालत ने कर्मचारियों की कटौती को रोकने के लिए एक अस्थायी निरोधक आदेश जारी किया.
USAID की स्थापना 1961 में राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी द्वारा कई विदेशी सहायता संगठनों और कार्यक्रमों को एक एजेंसी के तहत एकजुट करने के लिए की गई थी. कानून USAID को "राज्य सचिव के प्रत्यक्ष अधिकार और नीति मार्गदर्शन" के तहत रखता है. यह वैश्विक स्वास्थ्य, आपदा राहत, सामाजिक आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण, लोकतांत्रिक शासन और शिक्षा में कार्यक्रमों को लागू करता है. 2001 से लगभग 23 बिलियन डॉलर के औसत वार्षिक संवितरण के साथ, USAID दुनिया की सबसे बड़ी सहायता एजेंसियों में से एक रही है और सबसे अधिक अमेरिकी विदेशी सहायता के लिए जिम्मेदार है. USAID के 100 से अधिक देशों में मिशन हैं, मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व और पूर्वी यूरोप में.
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अमेरिका की सत्ता पर काबिज होते ही ट्रंप सरकार लगातार एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले ले रही है. ट्रंप द्वारा खर्चे में कटौती करने के लिए बनाए गए मंत्रालय ने कहा था कि वो USAID के तहत दुनिया के देशों को दिए जाने वाले 723 मिलियन डॉलर की रकम को खत्म कर रहा है.
एलॉन मस्क की अगुवाई में DOGE ने 16 फरवरी को 15 तरह के प्रोग्राम्स की फंडिंग रोक दी. इनमें भारत को दी जाने वाली 182 करोड़ रुपए की फंडिंग भी शामिल है. ट्रंप ने 19 फरवरी को इसकी जानकारी सार्वजनिक करते हुए कहा था कि हम भारत को 21 मिलियन डॉलर यानी तकरीबन 182 करोड़ रुपये क्यों दे रहे हैं?
राष्ट्रपति ट्रंप का यह ताजा बयान उस रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें दावा किया गया है कि 2022 में 21 मिलियन डॉलर का अनुदान भारत के लिए नहीं बल्कि बांग्लादेश के लिए मंजूर किया गया था.
अमेरिका की USAID फंडिंग को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा है. कांग्रेस ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए सरकार से श्वेत पत्र की मांग की है. ट्रंप का कहना था, "मेरे दोस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत को मतदान के लिए 21 मिलियन डॉलर दिए जा रहे हैं. हम भारत में मतदान के लिए 21 मिलियन डॉलर दे रहे हैं."
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) द्वारा भारत को दिए जाने वाले फंड पर हमला बोलते हुए दावा किया कि उसने भारत को चुनाव में सहायता के लिए '18 मिलियन डॉलर' दिए. ट्रंप ने कहा कि भारत को चुनाव के लिए धन मुहैया कराना अनावश्यक था क्योंकि देश को वित्तीय सहायता की जरूरत नहीं थी. उन्होंने दावा किया कि भारत अमेरिका का 'फायदा उठाता है' और वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक टैरिफ लगाता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के 2000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने और हजारों अन्य को छुट्टी पर भेजने की अधिसूचना जारी की है.