उमरा (Umrah), जिसे छोटा हज भी कहा जाता है, वास्तव में एक अलग धार्मिक यात्रा है. मक्का की यात्रा को उमरा कहा जाता है. अरबी में ‘उमरा’ का अर्थ है- आबाद स्थान का दर्शन करना. उमरा मुसलमानों के लिए एक स्वैच्छिक और सुन्नत इबादत है. इसे करने से ईमान ताजा होता है और व्यक्ति अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगता है. माना जाता है कि उमरा अदा करने वाला इंसान गुनाहों से पाक हो जाता है.
सऊदी अरब के बाहर रहने वाले लोगों को इसके लिए एक विशेष उमराह वीजा की जरूरत होती है, जो आमतौर पर एक महीने के लिए वैध होता है. वहीं, सऊदी अरब और आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग बिना अतिरिक्त दस्तावेजो के भी उमराह कर सकते हैं.
जहां हज शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमानों पर फर्ज है और इस्लाम के पांच स्तंभों में शामिल है, वहीं उमरा पर कोई अनिवार्यता नहीं है. हज इस्लामी कैलेंडर के अंतिम महीने ज़िलहिज्जा की 8 से 13 तारीख के बीच ही किया जाता है, जबकि उमरा पूरे साल कभी भी किया जा सकता है.ॉ
उमरा एक छोटी आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जो लगभग दो घंटे में पूरी की जा सकती है. इसके विपरीत हज कई दिनों तक चलने वाला विस्तृत धार्मिक कर्तव्य है. दोनों में काबा के चारों ओर तवाफ करना शामिल है. काबा का सम्मान इस बात से समझा जा सकता है कि दुनिया के सभी मुसलमान इसकी दिशा में नमाज पढ़ते हैं.
उमरा के लिए यात्रियों को एहराम की अवस्था में होना अनिवार्य है. यह हज और उमरा का एक विशेष वस्त्र और पवित्र स्थिति है. एहराम धारण करने के बाद लड़ाई-झगड़ा, गाली-गलौज, किसी जानवर को नुकसान पहुंचाना और नाखून या बाल काटना सख़्त मना होता है.
सऊदी अरब में मदीना के पास हुए बस हादसे के बाद भारत सरकार ने सहायता के लिए एक हाई-लेवल डेलिगेशन भेजने का फैसला किया है. जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अगुवाई में टीम राहत कार्यों, शवों की पहचान और पीड़ित परिवारों की मदद पर नजर रखेगी. हादसे में कई भारतीय उमराह यात्री मारे गए.
उमरा में मक्का जाकर काबा शरीफ की ज़ियारत, तवाफ़ और सई करना होता है. वहीं, हज में पूरा इस्लामी सफर, कई दिनों की आध्यात्मिक यात्रा, जिसमें अराफात, मिना, मुझदलिफ़ा के बड़े बड़े काम शामिल होते हैं.