पिछले दिनों बांग्लादेश में डार्विन के विकासवाद सिद्धांत (Theory of Evolution) को 9वीं और 10वीं कक्षा के पाठ्य पुस्तकों से हटाने की मांग को लेकर एक कानूनी नोटिस जारी किया गया है. नोटिस में तर्क दिया गया है कि यह सिद्धांत इस्लाम के विश्वासों, विशेष रूप से मानव की उत्पत्ति आदम और हव्वा से हुई, के विपरीत है. पाकिस्तान और बांग्लादेश से जब ऐसी खबरें आती हैं तो हम हंसी में उड़ा देते हैं. लेकिन, भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर जब छोटे बच्चों की सभा में पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में हनुमान जी का नाम लेते हैं, तो सिर पकड़ लेने का मन करता है.
पहला यह है कि पाकिस्तान-बांग्लादेश के बारे में कहा जा सकता है कि वहां का निजाम इस्लाम के आधार पर चलता है. ऐसे में यदि वे अपनी पढ़ाई में कुरान की मान्यताओं को शामिल करें तो आश्चर्य नहीं होता. लेकिन, भारत के बारे में तो दुनिया में यही मान्यता है कि यहां की पढ़ाई लिखाई तार्किक आधार पर चलती है. अब जरा सोचिए कि एक खबर ऐसी आती है जिसमें मेरे देश के पूर्व केंद्रीय मंत्री और कद्दावर बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर बच्चों से यह कहते हुए दिखते हैं कि देश के पहले अंतरिक्ष यात्री बजरंग बली पवनसुत हनुमान थे. तो दुनिया भर में भारत की क्या छवि बनेगी ?
जाहिर है कि ये बातें बहुत हास्यास्पद हो जाती हैं. हालांकि ठाकुर के कहने का मतलब शायद अपनी सभ्यता और संस्कृति को समझते हुए बच्चों को अपने देश के बारे में जानने और समझने की वकालत करना था .पर चूंकि स्कूल में ये बात बच्चों के साथ हुई इसलिए ठाकुर की बातचीत हास्यास्पद हो जाती है. खासतौर पर जब यह बातें किसी माइथॉलाजी की क्लास में न चल रही हों.
दरअसल भारत में अब तक शिक्षा और मीडिया पर कम्युनिस्ट विचारधारा का कब्जा रहा है. और भारत के इतिहास को तोड़ मोड़कर दिखाया जाता रहा है. बीजेपी नेताओं पर कम्यूनिस्टों के विचार से देश को आजाद कराने का भूत इस कदर हावी है कि वे अपनी संस्कृति और सभ्यता के प्रचार प्रसार को लेकर बार-बार आक्रामक हो जाते हैं.
इसी चक्कर में कभी कोई नेता इंटरनेट को महाभारत काल का बता देता है, तो कभी कोई परमाणु बम को कणाद मुनि के फार्मूले पर आधारित बता देता है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं विज्ञान और आधुनिका सोच को सर्वाधिक तरजीह देने वाले नेताओं में से हैं. इसलिए अनुराग ठाकुर ने जो कहा उसे सरकार की नीति नहीं माना नहीं जा सकता पर ऐसे बयान जगहंसाई तो कराते ही हैं.
दरअसल हुआ यह कि हिमाचल प्रदेश के ऊना में एक स्कूल में छात्रों से बातचीत के दौरान ठाकुर ने सवाल पूछा कि अंतरिक्ष की यात्रा करने वाला पहला व्यक्ति कौन था? अनुराग ठाकुर ने सामान्य ज्ञान और विज्ञान का एक बुनियादी सवाल पूछा. बच्चों ने एक स्वर में चिल्लाया नील आर्मस्ट्रांग! अनुराग ठाकुर ने कहा कि मुझे लगता है कि यह हनुमानजी थे. बाद में उन्होंने एक वीडियो एक्स पर साझा किया और बताया कि दोनों ही उत्तर सही नहीं हैं.
यहां पर अनुराग ठाकुर का यह कर्तव्य होना चाहिए था कि वो पहले छात्रों को यह बताते कि दुनिया में पहले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग नहीं बल्कि यूरी गागरिन थे. सही उत्तर बताने के बाद अनुराग ठाकुर अगर बच्चों से यह कहते कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विश्व के पहले अंतरिक्ष यात्री हनुमान जी थे तो यह स्वस्थ वार्ता मानी जाती. पर जिस तरह अनुराग ठाकुर ने नील आर्मस्ट्रांग के नाम पर गौर किए बिना हनुमानजी का नाम लिया उससे एक आशंका तो यह भी बनी कि क्या स्वयं अनुराग ठाकुर को भी नहीं पता है कि आर्मस्ट्रांग नहीं पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन थे.
वैसे अनुराग ठाकुर ने जो कहा वो कोई बहुत गंभीर बात नहीं है. भारत में अगर पहले डॉक्टर की बात होती है तो धनवंतरि का नाम लिया जाता है. पहले शल्य चिकित्सक के रूप सुश्रुत का नाम चलता है. पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले छात्रों को पता होगा कि दुनिया के पहले पत्रकार कौन थे? इस सवाल के जवाब में हिंदी के तमाम पत्रकारिता पुस्तक नारद मुनि को नाम लिखते हैं. भारतीय शास्त्रों में नारद को कभी बहुत सम्मानित तरीके से नहीं लिया गया है. पत्रकारिता की पढ़ाई के दौरान जब पत्रकारिता के शिक्षक नारद को अपना पूर्वज बताते हैं तो कई बार मन में खिन्नता भी होती है. लेकिन, इन तमाम संदर्भों का यह कतई मंतव्य नहीं है कि डाक्टरी, सर्जरी या पत्रकारिता के आधुनिक पथप्रदर्शकों को नकार दिया जाए.
शायद इसी क्रम में अनुराग ठाकुर ने भी पहले अंतरिक्ष यात्री का नाम हनुमान बता दिया हो. पर जब नेता मिथकों को इतिहास बताकर और बच्चों को इस तरह की शिक्षा देने लगते हैं तो लगता है कि ग़लतियों का आधार और मज़बूत किया जा रहा है. इसके अलावा यह भी लगता है कि यह वैज्ञानिक सोच और तथ्य-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने के मार्ग में एक तरह की विफलता भी है. संविधान का अनुच्छेद 51 ए (एच) राज्य को वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने का आदेश देता है. शायद यही कारण है कि यह विषय इतना चर्चा का बन गया.
सोशल मीडिया पर ठाकुर के हनुमानजी वाले दावे पर लोग तरह तरह के मजे ले रहे हैं. एक व्यक्ति ने तो सांसद की तथ्य-जांच भी की और कहा, पहला अंतरिक्ष यात्री हिरण्याक्ष था, जिसने पृथ्वी को छुपा लिया था. एक्स यूज़र ने दावा किया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भी, अनुराग ठाकुर का हनुमान को पहला अंतरिक्ष यात्री कहना सही नहीं है. वहीं कुछ लोग ठाकुर की बात को सही साबित करने के लिए तुलसीदार द्वारा लिखित बाल समय रवि भक्षि लियो तब तीनहुं लोक भयो अधियारा..... को याद दिला रहे हैं.
दरअसल हनुमान जी के बारे में एक किंवदंती है कि अपने बाल्यकाल में एक बार उन्होंने खाने की कोई वस्तु समझकर सूरज को निगलने की चेष्टा की थी. सूरज को अभी निगलने वाले ही थे कि धरती पर अंधेरा छा गया. देवता गण भागकर उनके पास पहुंचे और प्रार्थना की उसके बाद हनुमान जी सूर्य देवता को अपने गले से बाहर निकाला.
खैर, पौराणिक मान्यताओं की ये तमाम बातें आधुनिक शिक्षा से अलग हैं. आध्यात्मिक बोध के लिए कोई छात्र पौराणिक संदर्भों से प्रेरणा ले सकता है, लेकिन उसे अपनी पढ़ाई से रिप्लेस नहीं कर सकता है. ऐसे में अनुराग ठाकुर ने पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में जिस तरह हनुमान जी का उल्लेख किया है, उसे सुनकर तो हनुमान जी भी खुश नहीं हुए होंगे.