अपने खास गुलाबी रंग और गुलाब, केवड़ा, पुदीना जैसी जड़ी-बूटियों की ताजगी से भरपूर स्वाद के लिए प्रसिद्ध, 'रूह अफजा' (Rooh Afza) सबसे पुरानी और लोकप्रिय पेय सामग्रियों में से एक है. गर्मियों की चिलचिलाती दोपहर हो और एक ठंडी ठंडाई की तलाश हो, तो रूह अफजा का नाम सबसे पहले ज़ुबां पर आता है.
रूह अफजा की शुरुआत 1907 में हकीम हाफ़िज अब्दुल मजीद ने दिल्ली में की थी. इसे गर्मी के प्रभाव को संतुलित करने, शरीर को ठंडक देने और पाचन को दुरुस्त करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था. आज यह भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में बड़े पैमाने पर शरबत के रूप में उपयोग किया जाता है।
रूह अफजा एक कूलिंग शरबत है जो पारंपरिक यूनानी सिद्धांतों पर आधारित है. इसे आमतौर पर ठंडे पानी, दूध, दही, या आइसक्रीम में मिलाकर सेवन किया जाता है. इसका उपयोग कई प्रकार के पेय पदार्थों, मिठाइयों और डेसर्ट्स में किया जाता है.
दिल्ली हाईकोर्ट हमदर्द की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में बाबा रामदेव की 'शरबत जिहाद' वाली टिप्पणी को चुनौती दी गई है. स्वामी रामदेव के वकील को संबोधित करते हुए अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे बाबा रामदेव पर किसी का काबू नहीं है.
बाबा रामदेव के बयान के खिलाफ हमदर्द की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. मामले में मंगलवार को दिल्ली HC ने सुनवाई की. हाईकोर्ट ने कहा, यह बयान अक्षम्य है और अंतरात्मा को झकझोरने वाला है.
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इस पैटर्न की तुलना ऐतिहासिक तानाशाहों से की और कहा, "हिटलर ने भी यही किया था. दुनिया के तमाम तानाशाह एक समूह को दुश्मन बताते हैं और जो उनके पक्ष में बात करता है, उसे देशद्रोही करार दिया जाता है."