प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) पुरुषों में होने वाला एक आम लेकिन गंभीर प्रकार का कैंसर है, जो प्रोस्टेट ग्रंथि में उत्पन्न होता है. प्रोस्टेट एक छोटी ग्रंथि होती है जो पुरुष प्रजनन प्रणाली का हिस्सा है और वीर्य (semen) का निर्माण करने में सहायक होती है.
प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती चरण में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते. जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं जैसे- पेशाब करते समय जलन या दर्द, बार-बार पेशाब आने की आवश्यकता- खासकर रात में, मूत्र प्रवाह में कमी या रुकावट, वीर्य में खून आना, पेल्विक क्षेत्र, पीठ या जांघों में दर्द और इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता).
कुछ पुरुषों को दूसरों की तुलना में प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना अधिक होती है. 50 वर्ष से अधिक उम्र में जोखिम अधिक होता है. अफ्रीकी या कैरेबियाई मूल के पुरुषों में इसका जोखिम ज्यादा पाया गया है. मोटापा और अस्वस्थ जीवनशैली भी इसका कारक हो सकता है.
प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए निम्नलिखित जांच की जाती हैं- PSA टेस्ट (Prostate-Specific Antigen): खून की जांच जिससे प्रोस्टेट कैंसर का संकेत मिल सकता है.
डिजिटल रेक्टल एग्ज़ाम (DRE): डॉक्टर उंगली से प्रोस्टेट को जांचते हैं.
बायोप्सी: कैंसर की पुष्टि के लिए प्रोस्टेट ऊतक का नमूना लिया जाता है.
MRI या CT स्कैन: कैंसर की स्टेज जानने के लिए.
प्रोस्टेट कैंसर का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है, जो रोग की गंभीरता, मरीज की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है. इनमें सर्जरी: प्रोस्टेट ग्रंथि को हटाया जाता है (Prostatectomy), रेडियोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडिएशन का प्रयोग, हार्मोन थेरेपी: टेस्टोस्टेरोन को कम करने के लिए, कीमोथेरेपी: उन्नत अवस्था में प्रयुक्त शामिल है
प्रोस्टेट कैंसर को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन एक हेल्थी लाइफस्टाइल अपनाकर इसे रोकने में मदद मिल सकती है.
कैंसर को लेकर भारत में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा केस पाए गए हैं. ICMR की नई रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु की महिलाओं में कैंसर के मामले सबसे ज्यादा पाए हैं.
सर गंगा राम हॉस्पिटल दिल्ली में मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. श्याम अग्रवाल ने aajtak.in से प्रोस्टेट कैंसर के बारे में कई जरूरी जानकारियां साझा कीं. डॉ अग्रवाल ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर जब हड्डियों तक फैल जाता है तो इसे ठीक नहीं किया जा सकता. बस इलाज से लंबे समय तक नियंत्रित किया जा सकता है.