केंद्र सरकार ने संसद में 130वां संविधान संशोधन विधेयक रखा है. इस प्रस्तावित संशोधन के तहत अगर कोई केंद्रीय या राज्य स्तर का मंत्री किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहता है, तो उसे मंत्री पद से हटना पड़ेगा. (PM-CM Removal Bill)
यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 75 और 164 में बदलाव लाने का सुझाव देता है, जो क्रमशः केंद्र और राज्यों की मंत्रिपरिषद से जुड़े हैं.
यदि किसी मंत्री पर ऐसा अपराध साबित होता है, जिसकी सजा कम से कम पाँच साल तक हो सकती है, और वह 30 दिन तक जेल में रहता है, तो उसे मंत्री पद से हटा दिया जाएगा.
हटाने की प्रक्रिया प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की सलाह पर होगी।.
अगर पीएम या सीएम ऐसी सलाह नहीं देते, तो संबंधित मंत्री 31वें दिन से अपने पद से अपने आप हटा दिया जाएगा.
यदि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री खुद गिरफ्तार होकर 30 दिन तक हिरासत में रहते हैं, तो उन्हें 31वें दिन इस्तीफा देना होगा.
रिहाई के बाद ऐसे मंत्री, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को फिर से नियुक्त किया जा सकता है.
यह संशोधन दिल्ली के लिए अनुच्छेद 239AA में भी समान प्रावधान जोड़ता है. साथ ही, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू संसदीय कानूनों में भी इसी तरह के बदलाव का प्रस्ताव है.
प्रक्रिया क्या होगी?
संविधान संशोधन लागू होने के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी है। इस विधेयक को आगे की समीक्षा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया है।
गृहमंत्री ने सोमवार को 41 मिनट के इंटरव्यू में विपक्ष के PM-CM रिमूवल बिल समेत 10 बड़े आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया. उन्होंने कहा कि "कोई भी मुख्यमंत्री हो, मंत्री हो या प्रधानमंत्री हो, जेल में रहकर सरकार नहीं चला सकते." गृहमंत्री ने बताया कि जिस कानून से खुद को इंदिरा राज में बचाया जाता रहा, उसमें अपना पद खुद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शामिल कराया है. विपक्ष का आरोप है कि यह बिल केवल विरोधी दलों की सरकार को निशाना बनाने के लिए है. गृहमंत्री ने इस आरोप को बेबुनियाद बताया. देखिए.
भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी मानते हैं कि अभी व्यापक बहस इस मुद्दे पर होनी चाहिए कि क्रिमिनल ज्यूडिशियल सिस्टम में आमूल-चूल कैसे हो? उन्होंने गिरफ्तार PM-CM को हटाने वाले बिल का संशोधन करते हुए कहा कि हमारे देश में किसी व्यक्ति को सजा मिलने में 10 से 20 साल तक लग जाते हैं और ऐसा व्यक्ति लंबे समय तक राजनीति में बना रह सकता है.
सरकार ने यह तय किया है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को जेल से सरकार चलाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी. इसके लिए तीन बिल लाए गए हैं, जिन्हें संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में भेजा गया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा है कि "एक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जिन्होंने 39वें संविधान संशोधन से प्रधानमंत्री के पद को कोर्ट के रिव्यू से बाहर कर दिया था और एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है जिन्होंने ज़ोर देकर प्रधानमंत्री पद को 130वें संविधान संशोधन बिल के दायरे में रखा है."
दिल्ली के मुख्यमंत्री को मिली अंतरिम जमानत के बाद 'जेल से सरकार' चलाने के मुद्दे पर चर्चा हो रही है. जमानत की शर्तों में सचिवालय न जाने और फाइलें साइन न करने की बात कही गई है. 2024 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद यह सवाल उठा है कि क्या जनता ने 'कट्टर बेईमान' का संदेश दिया है.
130वें संविधान संशोधन विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस जारी है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में नैतिकता के आधार पर इस बिल का समर्थन किया. उन्होंने राहुल गांधी की पुरानी राजनीति पर सवाल उठाए, जब यूपीए सरकार के दौरान 2 साल की सजा पाए सांसदों को बचाने वाला अध्यादेश राहुल गांधी के विरोध के कारण नहीं आ सका था.
130वें संविधान संशोधन विधेयक से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. इस विधेयक को लेकर एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार, कुछ विपक्षी दल इस जेपीसी से दूरी बनाए हुए हैं. हालांकि, कांग्रेस की तरफ से यह खबर आ रही है कि वह जेपीसी में शामिल होने के लिए तैयार है.
गृह मंत्री अमित शाह ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर बोलते हुए विपक्ष को घेरा है. उन्होंने कहा कि इस कानून में प्रधानमंत्री पर भी कार्रवाई का प्रावधान है. जेल से सरकार चलाने को लेकर उनकी टिप्पणी पर घमासान मचा था. अमित शाह ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद इस संविधान संशोधन में प्रधानमंत्री पद को शामिल करवाया है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक पर विपक्ष के विरोध को अलोकतांत्रिक बताया. उन्होंने कहा कि जेल से सरकार चलाना लोकतंत्र का अपमान है और बिल पारित होना जरूरी है. अमित शाह ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए विश्वास जताया कि विपक्ष में भी कई लोग नैतिक आधार पर बिल का समर्थन करेंगे.