PM10
कण प्रदूषण (Particulate pollution) वातावरण का एक ऐसा प्रदूषण है जिसमें सस्पेंडेड पार्टिकल्स होते हैं. कुछ कण एक खास स्रोत से सीधे निकलते हैं, जबकि अन्य वातावरण में रासायनिक प्रतिक्रियाओं में बनते हैं. कण प्रदूषण या तो प्राकृतिक स्रोतों या मानवजनित प्रक्रियाओं से होता है. वायुमंडलीय पार्टिकुलेट मैटर को पार्टिकुलेट मैटर या पीएम के रूप में भी जाना जाता है (Particulate Matter or PM). इससे गैस में ठोस या तरल कणों का पता चलता है.
पार्टिकुलेट पोल्यूशन दुनिया भर में अलग-अलग आकार और संरचना में देखा जाता है और यह कई महामारी विज्ञान अध्ययनों का फोकस है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) को आम तौर पर दो मुख्य आकार श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: PM10 और PM2.5 (Size Categories of Particulate Matter).
PM10, जिसे मोटे पार्टिकुलेट मैटर के रूप में भी जाना जाता है, इसमें 10 माइक्रोमीटर (μm) और छोटे कण होते हैं (Size of PM 10). यह आमतौर पर पृथ्वी के वायुमंडल में होता है. वायुमंडल में कणों को उत्सर्जित करने के तरीके के आधार पर दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है. प्राइमरी पार्टिकल्स, जैसे खनिज धूल, वातावरण में उत्सर्जित होते हैं. अमोनियम नाइट्रेट जैसे सेकेंडरी पार्टिकल्स, जो गैस-से-कण में रूपांतरित होकर वातावरण में बनते हैं. कण प्रदूषण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कई स्रोतों से हो सकता है, जिनमें शामिल हैं: कृषि, ऑटोमोबाइल, निर्माण, जंगल की आग, रासायनिक प्रदूषक और बिजली संयंत्र (Source of PM 10).
पार्टिकुलेट एक्सपोजर सांस की बीमारियों के लक्षणों से जुड़ा हुआ है, जिसमें वायुमार्ग की जलन, अस्थमा, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, अनियमित दिल की धड़कन, फेफड़े का कैंसर, गुर्दे की बीमारी, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, और पीड़ित व्यक्तियों में समय से पहले मौत जैसे लक्षण शामिल हैं. वृद्ध वयस्कों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, और कम प्रतिरक्षा वाली जनसंख्या पर इसके खतरनाक प्रतिकूल परिणाम होते हैं (PM 10 Health Problems).
दुनिया भर में, 70μg/m3 की PM10 सांद्रता और 35μg/m3 की PM2.5 सांद्रता को दीर्घकालिक मृत्यु दर को 15% तक बढ़ाने वाला माना गया है. 2016 में देखी गई सभी असामयिक मौतों में से लगभग 4.2 मिलियन वायुजनित कण प्रदूषण के कारण हुईं, जिनमें से 91% निम्न से मध्यम सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले देशों में हुईं. इन समय से पहले होने वाली मौतों में से 58% स्ट्रोक और इस्केमिक हृदय रोगों से हुई, 8% सीओपीडी (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) से हुई, और 6% फेफड़ों के कैंसर से हुई (PM 10 Mortality Rate).
दिल्ली के लाल किले की दीवारें जहरीली हवा से काली हो रही हैं. नई स्टडी बताती है कि PM2.5, NO2 और SO2 जैसे प्रदूषक सैंडस्टोन पर काली परत बनाते हैं. यह सल्फेशन और भारी धातुओं से होता है. प्रदूषण कम करने, नियमित सफाई और ग्रीन बेल्ट से इस धरोहर को बचाया जा सकता है.