फाइजर-बायोएनटेक, कोविड-19 वैक्सीन
फाइजर-बायोएनटेक COVID-19 वैक्सीन (Pfizer–BioNTech COVID-19 vaccine) Comirnaty ब्रांड नाम के तहत बेची जाती है. इस वैक्सीन का विकास जर्मन बायोटेक्नोलॉजी कंपनी BioNTech ने किया और इसे विकसित करने के लिए अमेरिकी कंपनी फाइजर के साथ साझेदारी की. यह कुछ देशों में पांच वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के उपयोग के लिए अधिकृत है, अन्य देशों ने इसे बारह वर्ष या सोलह वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए इसे मान्यता दिया है. SARS-CoV-2 वायरस के संक्रमण के कारण होने वाले COVID-19 से सुरक्षा प्रदान करने के लिए यह टीका इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है. यह mRNA (modRNA) आधारित वैक्सीन है. शुरुआत इस टीके की दो खुराक 21 दिनों के अंतराल पर लगाई गई, लेकिन बाद में अमेरिका में अंतराल को 42 दिनों तक बढ़ा दिया गया, और कनाडा में चार महीने तक कर दिया गया.
इसका क्लिनिकल परीक्षण अप्रैल 2020 में शुरू हुआ था. इसके फेज तीन ट्रायल में 40,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया. इसे सिम्पटोमैटिक संक्रमण को रोकने में 91.3% प्रभावी पाया गया (Pfizer–BioNTech COVID-19 vaccine efficacy). इसे लगवाने के बाद इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, थकान और सिरदर्द जैसे साइड इफेक्ट्स शामिल हैं (Pfizer–BioNTech COVID-19 vaccine side effects).
यह वैक्सीन पहला COVID 19 वैक्सीन है जिसे आपातकालीन और नियमित उपयोग के लिए अधिकृत किया गया था. दिसंबर 2020 में, यूनाइटेड किंगडम इसके उपयोग को अधिकृत करने वाला पहला देश था (First approved COVID-19 vaccine of the world).
सितंबर 2021 तक, कंपनी ने दुनिया भर में 1.5 बिलियन से अधिक COVID-19 वैक्सीन की खुराक भेजी थी. फाइजर और बायोएनटेक ने 2021 के अंत तक लगभग 2.5 बिलियन खुराक का निर्माण करने का लक्ष्य रखा था (production target). इसका वितरण और भंडारण एक तार्किक चुनौती है क्योंकि टीके को बेहद कम तापमान पर स्टोर करने की आवश्यकता होती है (Pfizer–BioNTech COVID-19 vaccine storage problem).
फाइज़र दुनिया की पहली फार्मा कम्पनी थी, जिसने कोविड की वैक्सीन दिसम्बर 2020 में ही विकसित कर ली थी. और क्योंकि ये दुनिया की पहली कोविड वैक्सीन थी, जिसे अमेरिका की एक कम्पनी ने बनाया था. कहा जा रहा है कि बारत में इसकी एंट्री नहीं हो सकती. तो क्या सच्चाई है इस बात के पीछे, देखें.
फाइज़र दुनिया की पहली फार्मा कम्पनी थी, जिसने कोविड की वैक्सीन दिसम्बर 2020 में ही विकसित कर ली थी. और क्योंकि ये दुनिया की पहली कोविड वैक्सीन थी, जिसे अमेरिका की एक कम्पनी ने बनाया था और इसका Efficacy Rate भी 95 से 100 प्रतिशत के बीच था. और एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसे देखना बेहद जरूरी हो जाता है.
फाइज़र दुनिया की पहली फार्मा कम्पनी थी, जिसने कोविड की वैक्सीन दिसम्बर 2020 में ही विकसित कर ली थी. फाइज़र ने 2020 में इस वैक्सीन को पूरी दुनिया में मनमाने दामों पर बेचा और मोटा पैसा कमाया लेकिन अब 2 साल बाद ये पता चल रहा है कि ये वैक्सीन ना तो ज्यादा प्रभावी है और दुनियाभर में लोग इसके Side Effects से मर रहे हैं.
फाइज़र ने 2020 में इस वैक्सीन को पूरी दुनिया में मनमाने दामों पर बेचा और मोटा पैसा कमाया लेकिन अब 2 साल बाद ये पता चल रहा है कि ये वैक्सीन ना तो ज्यादा प्रभावी है और दुनियाभर में लोग इसके Side Effects से मर रहे हैं. देखें ये वीडियो.