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मल्लिकार्जुन मंदिर

मल्लिकार्जुन मंदिर

मल्लिकार्जुन मंदिर

श्री भ्रामराम्बा मल्लिकार्जुन (Mallikarjuna Temple) मंदिर भगवान शिव और पार्वती को समर्पित है. यह आंध्र प्रदेश राज्य के श्रीशैलम- Srisailam में स्थित है. यह शैव और शक्ति दोनों के हिंदू संप्रदायों के लिए महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह मंदिर को शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. साथ ही, अठारह शक्तिपीठों में से एक के रूप में जाना जाता है.

शिव की पूजा मल्लिकार्जुन के रूप में की जाती है. देवी पार्वती की भ्रमरम्बा के रूप में पूजा की जाती है. ॉमल्लिकार्जुन मंदिर में मनाया जाने वाला मुख्य त्योहार महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) है. 

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव अपने पुत्र कार्तिकेय को मनाने के लिए इस पवित्र स्थान पर आए थे, और तभी से यह पर्वत उनका स्थायी निवास बन गया. ‘मल्लिका’ का अर्थ पार्वती और ‘अर्जुन’ का अर्थ शिव होता है. इसलिए यह स्थान शिव-पार्वती के दिव्य मिलन का पवित्र स्थल माना जाता है.

मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से भी अत्यंत भव्य है. इसकी प्राचीन शिल्पकला, विशाल गोपुरम और पत्थरों पर की गई नक्काशी इसे ऐतिहासिक धरोहर बनाती है. मंदिर परिसर में बने मंडप, स्तंभ और मूर्तियों पर की गई कारीगरी दक्षिण भारतीय कला की उत्कृष्टता को दर्शाती है.

श्रद्धालुओं के लिए श्रीशैलम पहुंचना स्वयं में एक अनोखा अनुभव है. घने जंगलों, गहरी घाटियों और ऊंची पहाड़ियों से होकर गुजरने वाला रास्ता प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. यहां आने वाले भक्त ‘मल्लिकार्जुन स्वामी दर्शन’, ‘भ्रमराम्बा देवी पूजा’ और ‘रुद्राभिषेक’ जैसे धार्मिक अनुष्ठान करते हैं.

महाशिवरात्रि और नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष उत्सव आयोजित होते हैं, जहां देशभर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. माना जाता है कि यहां किए गए दर्शन जीवन की कठिनाइयाँ दूर करते हैं और मन को शांति प्रदान करते हैं.

मल्लिकार्जुन मंदिर केवल पूजा का स्थान ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा, प्राकृतिक सौंदर्य और भारतीय धार्मिक परंपराओं का अनूठा संगम है. यहां की दिव्यता हर आगंतुक के मन में गहरी छाप छोड़ जाती है.

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