कोल्हापुर
कोल्हापुर (Kolhapur) भारत के महाराष्ट्र (Maharashtra) राज्य के दक्षिणी भाग में पंचगंगा नदी (Punchganga River) के तट पर बसा एक शहर है. यह कोल्हापुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है. कोल्हापुर, मुंबई (Mumbai) के दक्षिण में 373 किमी और पुणे (Pune) के दक्षिण में 228 किमी, बेंगलुरु (Bengaluru) के उत्तर-पश्चिम में 615 किमी और हैदराबाद (Hyderabad) के पश्चिम में 530 किमी पर स्थित है (Kolhapur Location).
कोल्हापुर को 'दक्षिण काशी' या दक्षिण की काशी के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसका आध्यात्मिक इतिहास और इसके मंदिर महालक्ष्मी है, जिसे अंबाबाई के नाम से जाना जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं में कोल्हापुर का नाम करवीर है. भारतीय स्वतंत्रता से पहले, कोल्हापुर मराठा साम्राज्य के भोसले छत्रपति के अधीन शासित एक रियासत थी. यह मराठी फिल्म उद्योग का एक महत्वपूर्ण केंद्र है. कोल्हापुर राज्य की स्थापना ताराबाई ने 1707 में मराठा राजत्व पर उत्तराधिकार विवाद के कारण की थी. मराठा सिंहासन तब ताराबाई के वंशजों द्वारा शासित था. प्रमुख राजाओं में से एक राजर्षि शाहू महाराज (कोल्हापुर के शाहू) थे (Kolhapur History).
पंचगंगा नदी पश्चिमी घाट से निकलती है. इसकी पांच सहायक नदियां भोगवती, तुलसी, कुंभी, कसारी और धमानी नदिया हैं (Kolhapur Five Rivers). जो शहर और उसके चारों ओर की जल आपूर्ति करती हैं. कोल्हापुर में कई झीलें हैंजो शहर को पीने योग्य घरेलू पानी उपलब्ध कराती हैं. कोल्हापुर में नवंबर से फरवरी तक सर्दी रहती है. महाराष्ट्र के अन्य शहरों जैसे पुणे और नासिक की तुलना में सर्दियों का तापमान अधिक गर्म होता है (Kolhapur Weather).
यह शहर कोल्हापुरी चप्पल का गढ़ है, जो एक हाथ से तैयार की गई भैंस की चमड़े की चप्पल होती है जिसे स्थानीय रूप से वनस्पति रंगों का उपयोग करके खुबसूरत बनाय जाता है. इस शहर के महाद्वार रोड पर कोल्हापुरी की चप्पलें बेची जाती हैं (Kolhapuri Chappal). यहां अन्य हस्तशिल्प में शामिल हैं. वस्त्रों की हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, चांदी, मनका और पेस्ट आभूषण क्राफ्टिंग, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की नक्काशी, लाह के बर्तन, पीतल की चादर का काम और ऑक्सीकृत चांदी की कलाकृति साथ ही फीता और कढ़ाई बनाने का काम किया जाता है (Kolhapur Art And crafts).
प्रति वर्ष शहर में लगभग 30 लाख सैलानी यहां आते हैं. पर्यटन राजस्व का एक अन्य स्रोत है. कोल्हापुर के पर्यटक स्थलों में न्यू पैलेस, बिंदू चौक पर बाबासाहेब अम्बेडकर की दुनिया की पहली मूर्ति, रंकाला झील, तारा रानी घुड़सवारी की मूर्ति जो घोड़े के दो पैरों पर खड़ी है, भगवान की 85 फीट की मूर्ति और चिन्मय मिशन में गणेश शामिल हैं (Kolhapur Tourist Places).
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने अपने आखिरी दिन कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम फैसले दिए लेकिन असली चुनौती उन्हें जमीन पर लागू कराने की है. दिल्ली प्रदूषण से लेकर आरक्षण और गवर्नर की भूमिका तक, गवई ने माना कि कोशिश तो की है… पर अमल कमजोर रहा. महिलाओं की नियुक्ति, कॉलिजियम और सोशल मीडिया पर भी उन्होंने खुलकर कहा.
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक तांत्रिक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में दिख रहा है कि बाबा चुटकी बजाकर भूत-प्रेत भगाने का दावा करता है. यह वीडियो टिंबर मार्केट इलाके का है. पुलिस का कहना है कि इस मामले में अब तक कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है, लेकिन वीडियो की जांच शुरू कर दी गई है.
कोल्हापुर में दो मुंह वाले एक भैंस के नवजात को देखने के लिए भीड़ उमड़ी है. हालांकि, नवजात भैंस की कुछ ही घंटे बाद मौत हो गई, लेकिन इसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
महाराष्ट्र के कोल्हापूर में हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां एक 10 साल के बच्चे की हार्ट अटैक से मौत हो गई. दरअसल, बच्चा गणपति मंडल में खेल रहा था. वहां कुछ बेचैनी हुई तो वह भागकर घर पहुंचा. घर जाकर अपनी मां की गोद में लेट गया और उसकी सांसें थम गईं. इस दर्दनाक घटना ने पूरे गांव और परिवार में मातम पसर गया. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.
महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के पन्हाला तहसील के कोडोली गांव में दर्दनाक घटना सामने आई है. यहां 10 साल के श्रवण अजीत गावड़े की अचानक मौत ने सभी को स्तब्ध कर दिया. गुरुवार शाम श्रवण गणपति मंडल में बच्चों के साथ खेल रहा था.
महाराष्ट्र के कोल्हापूर जिले के कोडोली गांव में दस वर्षीय श्रवण अजीत गावड़े की गुरुवार शाम गणपति मंडल में खेलते समय अचानक तबियत बिगड़ने के बाद दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. घर दौड़कर अपनी मां की गोद में लेटते ही उसने अंतिम सांस ली. घटना से परिवार और गांव में गहरा शोक फैल गया है.
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में सिद्धार्थ नगर चौक पर बवाल हुआ. एक फुटबॉल क्लब के 31 साल पूरे होने पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था. सड़क के बीच साउंड सिस्टम लगाए गए थे, जिससे स्थानीय लोगों को दिक्कत हो रही थी. रात करीब 10 बजे सैकड़ों लोगों ने पथराव शुरू कर दिया. भीड़ ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया और कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई.
कोल्हापुर के सिद्धार्थ नगर में फुटबॉल क्लब कार्यक्रम के दौरान दो समुदायों में विवाद बढ़ने पर पत्थरबाजी, आगजनी और तोड़फोड़ हुई. दो गाड़ियों को आग लगाई गई और 6 से ज्यादा गाड़ियों को नुकसान पहुंचा है. घटना में 8 लोग घायल हुए हैं. पुलिस ने 200 से अधिक जवान तैनात किए और शांति बनाए रखने की अपील की है.
महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर के सिद्धार्थ नगर इलाके में दो समुदायों के बीच भारी तनाव फैल गया. दरअसल, भारत तरुण मंडल प्रणीत राजेबागस्वार फुटबॉल क्लब की 31वीं वर्षगांठ पर सिद्धार्थ नगर चौक में कार्यक्रम आयोजित किया गया था. दोपहर से ही इलाके में फ्लेक्स पोस्टर, बैनर और साउंड सिस्टम लगाने की वजह से स्थानीय लोगों में नाराज़गी देखी जा रही थी.
महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर के सिद्धार्थनगर इलाके में बीती रात जमकर बवाल हुआ. जानकारी के मुताबिक, सिद्धार्थनगर चौक पर एक फुटबॉल क्लब के 31 साल पूरे होने पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में साउंड सिस्टम लगाए गए थे और पोस्टरबाजी-बैनरबाजी भी हुई थी. कल रात कुछ लोगों को साउंड सिस्टम से दिक्कत हुई, जिसके बाद दोनों तरफ के युवक आमने-सामने आ गए और उनमें झड़प हो गई.
महाराष्ट्र के कोल्हापुर के सिद्धार्थ नगर इलाके में बीती रात जमकर बवाल हुआ. एक फुटबॉल क्लब के कार्यक्रम के दौरान सड़क पर साउंड सिस्टम लगाए जाने को लेकर लोग गुस्से में थे. रात करीब 10 बजे सैकड़ों की संख्या में लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. भीड़ ने दो गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया और छह गाड़ियों में तोड़फोड़ की. हालात को नियंत्रित करने के लिए 200 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया.
महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में गगनबावड़ा तहसील के बोरबेट की सात महीने की गर्भवती 30 वर्षीय कल्पना आनंद डुकरे को प्रसव के लिए गगनबावड़ा ग्रामीण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन ग्रामीण अस्पताल में जरूरी सुविधाएं न होने के कारण उन्हें शहर के अस्पताल में लेकर जाना पड़ा.
महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में गगनबावड़ा तहसील के बोरबेट की सात महीने की गर्भवती 30 वर्षीय कल्पना आनंद डुकरे को प्रसव के लिए गगनबावड़ा ग्रामीण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालांकि, आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में उन्हें आगे के इलाज के लिए कोल्हापुर शहर के सीपीआर सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया.
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में माधुरी हथिनी को कोर्ट के आदेश के बाद जामनगर के वंतारा भेज दिया गया था. इसके बाद कोल्हापुर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और लाखों लोगों की जनभावना को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है.
महाराष्ट्र में माधुरी हाथी को लेकर विवाद गहरा गया है. कोर्ट के आदेश के बाद माधुरी को कोल्हापुर के नंदिनी मठ से जामनगर के वंतारा भेज दिया गया था. इस फैसले के विरोध में कोल्हापुर में व्यापक प्रदर्शन हुए. जनभावना को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया है. देखें मुंबई मेट्रो.
नांदणी स्थित जैन मठ में 34 वर्षों से रह रही महादेवी हथिनी को हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार हाल ही में गुजरात स्थित वन्यजीव पुनर्वास केंद्र वंतारा में भेजा गया है. इस निर्णय से कोल्हापुर के नागरिकों में गहरी नाराजगी है.
महाराष्ट्र के नांदणी के जैन मठ में 34 सालों से रह रही महादेवी हथिनी को हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक हाल ही में गुजरात के वन्यजीव पुनर्वास केंद्र वंतारा में भेजा गया है...कोर्ट के इस फैसले से कोल्हापुर के नागरिकों में गहरी नाराजगी है.
पंजाब के अमृतसर में जूती व्यापार से जुड़े दुकानदारों ने इस पर गहरा आक्रोश जताया है. एक स्थानीय दुकानदार आकाश ने आजतक से कहा, 'हम दिन-रात मेहनत करके पंजाबी जुत्तियां और कोल्हापुरी चप्पलें 400 से 2000 रुपये तक में बेचते हैं. यही काम हजारों कारीगरों और दुकानदारों के लिए रोजी-रोटी है. लेकिन अब प्राडा हमारी पंजाबी जूतियों की नकल कर लाखों रुपये में बेच रहा है, ये हमारी सांस्कृतिक विरासत पर सीधा हमला है.'
कोल्हापुरी चप्पलों का इतिहास 13वीं शताब्दी से जुड़ा है. पहली बार महाराष्ट्र के साहू और चोपड़े परिवारों ने इन चप्पलों को बनाया था. इन परिवारों का संबंध कोल्हापुर क्षेत्र के ऐतिहासिक चर्मशिल्पकार समुदाय से है. छत्रपति शाहू महाराज (1874-1922) ने अपने शासनकाल में कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया और उन्हीं के शासनकाल में ये चप्पलें दरबारी वस्त्रों के रूप में इस्तेमाल होने लगीं.
Prada ने Milan Fashion Week 2026 में भारतीय कोल्हापुरी चप्पल जैसी सैंडल पेश कीं, लेकिन भारत की सांस्कृतिक विरासत को कोई क्रेडिट नहीं दिया. जानिए कोल्हापुरी चप्पलों का इतिहास और विवाद की वजह.
पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बाद में पता चला था कि आतंकियों ने स्थानीय कश्मीरी आतंकियों और ओवर ग्राउंड वर्कर्स के साथ मिलकर हमले से पहले इलाके की रेकी की थी. हमलावर ने हमले के लिए बैसरन को इसलिए चुना क्योंकि इस इलाके में सुरक्षाबलों की तैनाती नहीं थी.