कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और बाल अधिकारों के संरक्षक हैं. उनका जन्म 11 जनवरी 1954 को बिहार में हुआ था. वे बाल श्रम, बाल मजदूरी, और बाल शोषण के खिलाफ संघर्ष करने के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं.
कैलाश सत्यार्थी ने बाल मजदूरी के खिलाफ अभियान चलाकर लाखों बच्चों को बचाया है और उन्हें शिक्षा के रास्ते पर लाने में मदद की है. उन्होंने बचपन बचाओ आंदोलन (Bachpan Bachao Andolan) की स्थापना की, जो बाल श्रम के खिलाफ काम करता है. वे बच्चों के अधिकारों और उनकी शिक्षा के लिए समर्पित हैं. 2014 में, उन्हें बाल अधिकारों के लिए उनके असाधारण काम के लिए नॉबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित किया गया. वे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी बाल अधिकारों के मुद्दे उठाते रहे हैं.
गोंडा जिले की एक अदालत ने नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी से जुड़े बीस साल पुराने मामले में फैसाल सुनाया है. कैलाश सत्यार्थी अपने साथियों के साथ मिलकर सर्कस में काम करने वाली नाबालिग लड़कियों को बचाने की कोशिश की थी, इस दौरान सर्कस मैनेजमेंट के लोगों ने उन पर हमला कर दिया था.
कैलाश सत्यार्थी की पहल पर 29 नोबेल विजेताओं ने दुनिया को याद दिलाया कि इजरायल और गाजा के बच्चे भी "हमारे बच्चे" हैं. उन्हें तत्काल सुरक्षा और मानवीय सहायता की जरूरत है. नोबेल पुरस्कार की सभी छह श्रेणियों के इन विजेताओं ने का कहना है कि सभी अपहृत बच्चों को तत्काल रिहा किया जाए.
साहित्य का महाकुंभ साहित्य आज तक 2022 आज यानी 18 नवंबर से शुरू हो गया है. बदलाव के बोल सत्र में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और समाज सेवक कैलाश सत्यार्थी ने भी शिरकत की. इस दौरान उन्होंने एक मजदूर की बच्ची से जुड़ा किस्सा साझा किया.