80s और 90s के दौर में कई बड़ी हिंदी हिट फिल्में दे चुके कमल 'ठग लाइफ' के साथ एक बार फिर हिंदी दर्शकों का दिल जीतने की कोशिश करने वाले हैं. आइए बताते हैं कमल ऐसा क्या करने वाले हैं और क्यों 'ठग लाइफ' एक दमदार फिल्म नजर आ रही है, जिसपर हिंदी दर्शकों को नजर रखनी चाहिए...
कमल हासन और रजनीकांत अपनी नई फिल्मों से एक बार फिर हिंदी दर्शकों में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश करने जा रहे हैं. आइए बताते हैं कैसे इन स्टार्स की हिंदी दर्शकों से दूरी के बाद तमिल सिनेमा 'पैन इंडिया' कामयाबी के लिए जूझ रहा है. और ये दोनों स्टार्स अब इस कामयाबी के लिए क्या प्लान बना रहे हैं...
ट्रंप ने कहा कि 'अमेरिका में मूवी इंडस्ट्री बहुत तेजी से मर रही है' और दूसरे देशों की फिल्में देश की 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा' हैं. इस अनाउंसमेंट ने दुनिया भर के फिल्म स्टूडियोज, प्रोडक्शन हाउस और फिल्ममेकर्स को टेंशन में डाल दिया है. आइए बताते हैं इस अनाउंसमेंट का पूरा गणित...
सूर्या का चेहरा हिंदी ऑडियंस में ठीकठाक पहचाना जाता है. मगर इस पहचान को एक बड़ी हिंदी हिट फिल्म देने में वो अभी तक कामयाब नहीं हो पाए हैं. अपनी पिछली पैन इंडिया फिल्म 'कंगुवा' डिजास्टर साबित हुई थी. लेकिन 'रेट्रो' से सूर्या एक बार फिर पैन इंडिया हाथ आजमाने वाले हैं जिसका ट्रेलर हाल ही में आया है.
मलयालम फिल्म Abhyanthara Kuttavali का ट्रेलर हाल ही में बहुत चर्चा में रहा और इसकी वजह थी इस फिल्म में पत्नी से पीड़ित पति की कहानी. ट्रेलर में आसिफ अली एक ऐसे पति के रोल में नजर आ रहे हैं जिसकी पत्नी ने उसपर घरेलू हिंसा और दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.
1994 में जब पहली बार 'अंदाज अपना अपना' थिएटर्स में रिलीज हुई थी, तब इसे बहुत ज्यादा पसंद नहीं किया गया था. मगर वक्त के साथ ये फिल्म आइकॉनिक बन गई. इसकी वजह थी 'अंदाज अपना अपना' की राइटिंग में तीन चीजें- कॉलबैक, मेटा-रेफरेंस और ईस्टर-एग्स. आइए बताते हैं क्या हैं ये तीनों चीजें.
एक तरफ जहां एक टिपिकल हिंदी मसाला एंटरटेनर, डांस नंबर के बिना पूरी नहीं होती. वहीं, इन गानों के सेक्सुअल इमेज गढ़ने वाले लिरिक्स और इन लिरिक्स का मतलब पूरा करते भड़काऊ डांस स्टेप्स की आलोचना भी खूब होती है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि ये गाने फिल्मों में आए कब? चलिए बताते हैं...
सिनेमा का कल्चर ही ऐसा रहा है कि शुक्रवार का मतलब होता है नई फिल्मों की रिलीज. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि फिल्में शुक्रवार को ही क्यों रिलीज होती हैं? इसकी शुरुआत कैसे हुई और ये नियम आज भी क्यों निभाया जाता है? और इस वीकेंड की तरह, वो कौन से मौके हैं जब फिल्ममेकर्स ये नियम तोड़ते हैं?
क्या आपने कभी ये ध्यान दिया है कि अक्सर फिल्मों में कार के अंदर शूट हुए सीन्स में आगे की सीटों के हेडरेस्ट गायब होते हैं? कई फिल्मों में ऐसा नहीं भी होता. सवाल ये है कि आखिर ये कब होता है और कब नहीं होता? आइए बताते हैं...
अपने डेढ़-दो सौ साल के इतिहास में सिनेमा और इसकी तकनीक का जिस तरह विकास हुआ है, उसमें यकीनन दुनिया भर के वैज्ञानिकों, आविष्कारकों और टेक्नीशियनों का हाथ है.मगर ये जानकर आप हैरान हो जाएंगे कि लाइट और इमेज के जिस सिद्धांत पर सिनेमा का जन्म हुआ, वो असल में भारत की ही की एक कठपुतली कला से इंस्पायर है.
जो चर्चा में है, वो लाइमलाइट में ही क्यों है? ट्यूबलाइट या फ्लड लाइट में क्यों नहीं? ये लाइमलाइट आती कहां से है और पहली बार ये पड़ी किसपर थी? और सिनेमा से इस लाइमलाइट का क्या लेना देना है? ऐसा करते हैं आज लाइमलाइट को ही जरा लाइमलाइट में ले आते हैं...
सेंसर बोर्ड ने 'बैड न्यूज' में विक्की कौशल और तृप्ति डिमरी के तीन किसिंग सीन काटकर करीब 27 सेकंड छोटे किए थे. सेंसर बोर्ड पहले भी फिल्मों में कई 'आपत्तिजनक' सीन्स कटवाता रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सेंसर बोर्ड्स 125 साल पहले लगी एक आग की वजह से अस्तित्व में आए? पेश है फिल्म सेंसरशिप का इतिहास.
पिछले हफ्ते इसी कॉलम में हमने आपको बताया था कि बॉक्स-ऑफिस शब्द आया कैसे. भारत में फिल्मों की कमाई कैसे नापी जाती है और एक ही फिल्म की कमाई के अलग-अलग आंकड़े क्यों मिलते हैं. लेकिन क्या एक आम दर्शक को फिल्मों की कमाई से कोई मतलब होना चाहिए? आइए इसपर बात करते हैं...
आखिर फिल्मों की कामयाबी को बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से नापने का सिलसिला शुरू कैसे हुआ? इस बॉक्स ऑफिस में कौन सा बॉक्स है और कौन सा ऑफिस? इसका इतिहास क्या है और शेक्सपियर जैसे अंग्रेजी के महानतम नाटककारों से इसका क्या कनेक्शन है? आइए आज बॉक्स ऑफिस की इस पूरी आभा में गोता लगते हैं...