'आनंद मठ’ (Anand Math) प्रसिद्ध बंगाली उपन्यासकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित एक ऐतिहासिक उपन्यास है. यह उपन्यास 1882 में प्रकाशित हुआ था और इसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के आरंभिक प्रेरणास्रोतों में से एक माना जाता है. इस उपन्यास का मुख्य उद्देश्य देशभक्ति की भावना जागृत करना और लोगों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संगठित होने का संदेश देना था.
आनंद मठ की कथा 18वीं शताब्दी के संन्यासी विद्रोह (Sannyasi Rebellion) पर आधारित है, जो बंगाल में ब्रिटिश शासन के प्रारंभिक दौर में हुआ था. कहानी में संन्यासी साधु ‘माता भारत’ की मुक्ति के लिए संघर्ष करते हैं. उपन्यास के प्रमुख पात्र सत्यानंद, भवानी और महेंद्र जैसे संन्यासी हैं, जो धर्म और देश की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं.
आनंद मठ का सबसे प्रसिद्ध अंश ‘वंदे मातरम्’ गीत है, जिसे बाद में भारतीय राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया गया. यह गीत भारतमाता के प्रति समर्पण और देशभक्ति की भावना को दर्शाता है. इस गीत ने स्वतंत्रता सेनानियों के हृदय में नई ऊर्जा और जोश का संचार किया.
आनंद मठ केवल एक साहित्यिक कृति नहीं, बल्कि भारतीय राष्ट्रवाद का प्रतीक भी है. इसमें धर्म, देशप्रेम और त्याग की भावना का गहरा चित्रण मिलता है. बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने इस उपन्यास के माध्यम से यह संदेश दिया कि सच्चा आनंद केवल मातृभूमि की सेवा में है.
आनंद मठ भारतीय साहित्य और स्वतंत्रता आंदोलन दोनों में मील का पत्थर है. यह उपन्यास आज भी भारतीय युवाओं को देशभक्ति और बलिदान की प्रेरणा देता है.