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मूर्ख दिवसः इस मूरख संसार में, लुट गए बीच बाजार में

मूर्ख दिवसः इस मूरख संसार में, लुट गए बीच बाजार में

आज हम मूर्ख दिवस मना रहे हैं. वैसे कोई खुद को मूर्ख कहलाना पंसद नहीं करता है, लेकिन आज के दिन दूसरों को मूर्ख बनाकर लोग खुश बहुत होते हैं. इसलिए भाई भोले राम तुम मूर्ख बने रहना. कल्याण इसी में है तुम्हारा. बड़ी मस्ती है मूर्खता में. कुछ रखा नहीं विद्वता में. सिवाय मूर्ख के कोई सही नहीं होता. ''इस मूरख संसार में...लुट गए भरे बाजार में. नेताइन से इश्क लड़ाया, डूब गए मजधार में. घोटाले कर लेते तो हम ढेरो नोट कमाते. सात पीढ़ियों तक घर वाले खाते मौत मनाते. साले-शाली कारों में, हम लेते मजे तिहाड़ में. नेताइन के प्यार में पिट गए भरे बाजार में.'' मूर्ख दिवस देखिए खास कार्यक्रम.....

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