पलकधारी मास्टर क्लास में आते ही बच्चों से कहते थे कि जिनका मन पढ़ने का न हो, वो क्लास छोड़ कर बाहर चले जाएं. कुछ बच्चे खुश होकर अपना बस्ता उठाते और क्लास से बाहर चले जाते. पलकधारी मास्टर कभी उन बच्चों को रोकते नहीं थे. वो कहते थे कि एक दिन वो बच्चे भले उन्हें याद न करें, जिन्होंने उनकी क्लास में पढ़ाई की. लेकिन वो बच्चे उन्हें ज़रूर याद करेंगे जिन्होंने उनकी क्लास अटेंड नहीं की.