नेपोलियन कभी किसी को सॉरी नहीं कहता था...मित्तल मैडम मुझे बार-बार पढ़ाते हुए बार-बार ये कहती थीं कि नेपोलियन के पतन में उसकी महत्वकांक्षा की भूमिका तो थी ही, उससे भी बड़ी बात ये थी कि उसने खुद को अकेला कर लिया था. उसने घृणा को अपना आभूषण समझ लिया था और क्षमादान को वो कलंक मानने लगा था, संजय सिन्हा की कहानी में सुनिए.